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Monday 2 November 2015

वसा में घुलनशील विटामिन-विटामिन 'ई '(Vitamin'E')




वसा में घुलनशील विटामिन

विटामिन 'ई '


विटामिन 'ई ' मनुष्य व जन्तुओं में प्रजनन संस्थान की क्रियाशीलता हेतु आवश्यक होता हैं। 1922 में ईवान्स व विशप ने चूहों पर अनेक प्रयोग किये और देखा कि कच्ची सब्जियों के तेल में उपस्थित व वसा में घुलनशील यह तत्व चूहों की सन्तानोत्पत्ति में सहायक होता है। सन्तानोत्पत्ति में सहायक इस तत्व को विटामिन 'ई ' का नाम दिया गया। प्रजनन संस्थान के कार्यों को नियन्त्रित करने वाला यह विटामिन बाँझपन को दूर करता है। इसी विशेषता के कारण इसे बाँझपन विरोधी (Anti Sterlity Factor)के रूप में भी जाना जाता है। 



विटामिन 'ई ' प्राप्ति के स्रोत :


विभिन्न अनाजों के भ्रूण के तेल (जैसे -नारियल ,अलसी ,सरसों ,बिनौला )इसकी प्राप्ति के मुख्य साधन हैं। वनस्पति तेलों व वसाओं में इसकी अच्छी मात्रा उपस्थित रहती है। इसके अतिरिक्त यह विटामिन यकृत अण्डा ,अंकुरित ,अनाज ,माँस ,मक्खन में भी पाया जाता है। फल व सब्जियों में इसकी अल्प मात्रा रहती है। 


विटामिन 'ई 'के कार्य :


1)- यह विटामिन प्रजनन क्षमता को विकसित करता है। इसकी कमी से बाँझपन आता है। भ्रूण के विकास में यह विटामिन सहायक कार्य करता है। इसकी कमी से पुरूषों के शुक्राणु (Sperm)का बनना रूक जाता है तथा स्त्री के शरीर में भ्रूण गर्भ में ही मर जाते हैं। 
2)- विटामिन 'ई 'का एक कार्य इसकी ऑक्सीजन प्रतिरोधात्मकता के कारण है। यह विटामिन O2 शीघ्रता से शोषित करके आँखों में विटामिन 'ए 'का ऑक्सीकरण कम करता है। इस प्रकार विटामिन 'ए 'की बचत होती है। विटामिन 'ए 'असंतृप्त वसीय अम्लों का ऑक्सीकरण होने से रोकता है। जिससे चयापचय की गति नियन्त्रित बनी रहती है। 
3)- विटामिन 'ई 'लाल रक्त कणिकाओं के ऑक्सीकारक पदार्थों को टूटने -फूटने से रोकता है और उनकी जीवन अवधि बढ़ाता है।                                                      

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