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Tuesday 29 September 2015

वसा में घुलनशील विटामिन - विटामिन 'डी '(Vitamin 'D')






वसा में घुलनशील विटामिन 


       विटामिन 'डी '


1918 में सर्वप्रथम मैलनवाय (MELLONBY)ने पाया कि चूहों में रिकेट्स रोग की स्थिति में कॉड लिवर ऑयल का उपयोग लाभकारी होता हैं। मैकोलम (MECOLLUM)व उसके सहयोगियों ने अध्ययनों से निष्कर्ष निकाला कि यदि कॉड लिवर ऑयल से विटामिन 'ए 'की मात्रा नष्ट कर दी जाएँ तो भी रिकेट के उपचार में लाभ मिलता है। इससे निष्कर्ष निकला कि विटामिन 'ए 'रिकेट रोग का उपचार करने में सहायक नहीं हैं। रिकेट दूर करने वाले इस पदार्थ (Anti Rachetic Substance)को विटामिन 'डी ' नाम दिया गया। सूर्य की अल्ट्रावॉयलट किरणों के प्रभाव से शरीर में संश्लेषित हो सकने की क्षमता के कारण इसे धूप का विटामिन (Sun Shine Vitamin)
भी कहा जाता हैं। 




विटामिन 'डी ' प्राप्ति के स्रोत :


1)-वनस्पति से :



वनस्पति भोज्य पदार्थों में ये नहीं पाया जाता हैं। 


2)- जन्तुओं में :


यह विटामिन मुख्य रूप से मछली के यकृत के तेल में पाया जाता हैं इसके अतिरिक्त अण्डा,दूध,पनीर में भी इसकी प्राप्ति होती है। 
         विटामिन 'डी ' की कुछ मात्रा हमारे शरीर में धूप द्वारा भी पहुँचती रहती हैं। जब प्रकाश की अल्ट्रावॉयलट किरणें त्वचा में उपस्थित कॉलेस्ट्रोल पर पड़ती हैं तो विटामिन 'डी 'का निर्माण होता है। यही कारण है कि शिशुओं को उनकी माताएँ सुबह मालिश करके धूप में थोड़ी देर लिटा देती हैं। 



विटामिन 'डी ' के कार्य :


1)- विटामिन 'डी 'शरीर में कैल्शियम व फॉस्फोरस के आंत्र में शोषण को नियन्त्रित करता है। विटामिन 'डी 'की कमी से कैल्शियम व फॉस्फोरस का अवशोषण कम हो जाता है जिससे ये तत्व शरीर में मल पदार्थों के साथ उतसर्जित हो जाते हैं। 

2)-विटामिन 'डी 'रक्त में कैल्शियम व फॉस्फोरस की मात्रा नियन्त्रित करता है। अस्थियों में एकत्र कैल्शियम व फॉस्फोरस आवश्यकता पड़ने पर पुनः रक्त में मिल जाता है। विटामिन 'डी 'की कमी से अस्थियों का कैल्शियम व फॉस्फोरस रक्त में निकलने लगते है जिससे रक्त में इनकी मात्रा बढ़ जाती है। 

3)-शरीर की उचित वृद्धि हेतु विटामिन 'डी 'अत्यन्त ही महत्वपूर्ण तत्व है। 

4)- विटामिन 'डी 'मुख्य रूप से अस्थियों के निर्माण में मदद करता हैं। यह अस्थियों को दृढ़ता प्रदान करता है। अस्थियों में कैल्शियम फास्फेट के संग्रहण को नियन्त्रित करता है। इसकी कमी से अस्थियों में कैल्शियम फास्फेट ठीक रूप से संग्रहित नहीं हो पाता और अस्थियाँ मुलायम होकर टूटने लगती हैं। 

5)-विटामिन 'डी ' दाँतों के स्वस्थ विकास हेतु भी आवश्यक है। इसकी कमी से दाँतों के डेन्टीन व ऐनामेल का स्वास्थ्य प्रभावित होता है जिससे दाँत शीघ्र ही खराब हो जाते हैं। 

6)-विटामिन 'डी 'पैराथायराइड ग्रन्थि की क्रियाशीलता को नियन्त्रित करता है। 

7)-यह पेशी और तन्त्रिका तन्त्र को कार्यशील रखता है। 

8)-चेचक और काली खाँसी से बचाव करता है। 


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