विटामिन (बी 12 )
(Vitamin B12 or Cyanocobalamine)
विटामिन बी 12 की खोज परनीशियस एनीमिया रोग का निदान ढूँढ़ते समय हुई। प्रयोगों द्वारा देखा गया कि रोगी व्यक्ति को यकृत खिलाने से स्थिति में सुधार होता है। बाद में ज्ञात हुआ कि यकृत में उपस्थित बी 12 इस रोग के उपचार में सहायक है। इसे कोबामाइड (Cobamide),एंटीपरनीशियस एनीमिया फेक्टर (Antipernicious Anaemia Fector),एक्स्ट्रीन्सीक फेक्टर ऑफ केस्टल (Extrinsic Fector of Castle)के भी नामों से संबोधित करते है। मिनोट तथा मर्फी (Minot & Murphy)को 1934 में इस विटामिन की खोज के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। 1948 में स्मिथ तथा साथियों के द्वारा इसे क्रिस्टल रूप में प्राप्त किया गया। विटामिन बी 12 प्राणियों की प्रायः सभी कोशिकाओं में मिलता है। मनुष्य को इसकी पूर्ति के लिए भोजन पर निर्भर रहना पड़ता है किन्तु कुछ प्राणी आँतों में इसका निर्माण कर सकते हैं। ये पौधों में नहीं मिलता है।
कार्य :
1)- यह प्रोटीन के चयापचय में सहायक होता है।
2)- अस्थि मज्जा में रक्त कोशिकाओं के निर्माण में सहायक है।
3)- नाड़ी ऊतकों की चयापचयी क्रिया में सहायक है।
स्रोत :
प्रमुख रूप से जन्तु ऊतकों द्वारा ही प्राप्त होता है। इसके मुख्य स्रोत यकृत ,अण्डा ,माँस ,मछली ,दूध आदि है।