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Monday 27 April 2015

मिनी पिज्जा ( Mini Pizza )








सामग्री :


रेडीमेड मिनी पिज्जा - 8 से  10 


सॉस के लिए :




लहुसन ( बारीक़ कटा )- 1 छोटी चम्मच 
पिसा टमाटर - 4 टेबलस्पून
टोमैटो कैचअप - 2 टेबलस्पून
अजवायन - 1/2 छोटी चम्मच
लाल मिर्च पाउडर - 1/4 छोटी चम्मच
गरम मसाला पाउडर - 1/2 छोटी चम्मच
नमक - 1/2 छोटी चम्मच
चीनी - 1 छोटी चम्मच
तेल - 1 छोटी चम्मच




टॉपिंग के लिए :



चीज़ ( कसा हुआ )- 1/2 कप 
प्याज ( बारीक़ कटा )- 1 छोटा 
शिमला मिर्च ( बारीक़ कटा )- 1/4 



विधि :




1)- एक पैन में तेल गरम करें। उसमें अजवायन डालकर 10 सेकेण्ड तक पकाएँ अब उसमें लहसुन डालकर एक मिनट तक पकाएँ। अब उसमें पिसा टमाटर,गरम मसाला पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, टोमैटो कैचअप, चीनी और नमक डालकर दो मिनट तक पकाएँ। आँच बंद कर दें। ठण्डा होने दें। प्याज और शिमला मिर्च में थोड़ा नमक मिलाकर अलग रख लें। 
2)- पिज्जा बेस के किनारे की थोड़ी जगह छोड़कर सॉस को पूरे पिज्जा बेस पर फैला दें। अब उस पर कसा हुआ चीज डालें। उसके ऊपर प्याज और शिमला मिर्च डालें। इसी तरह सारे पिज्जा तैयार कर लें। 
3)- पहले से गरम ओवन में 180 डिग्री सेल्सियस पर पंद्रह मिनट तक बेक करें। आपके मिनी पिज्जा तैयार हैं 
गरमागरम अपने बच्चों को खिलाएँ। 














Saturday 25 April 2015

बैंगन मसाला ( Baingan Masala )










सामग्री :





छोटे बैंगन - 10 से 12 
सौंफ पाउडर - 1 टेबलस्पून 
धनिया पाउडर - 1/2 टेबलस्पून 
लाल मिर्च पाउडर - 1/2  छोटी चम्मच 
हल्दी पाउडर - 1/4 छोटी चम्मच 
गरम मसाला पाउडर - 1/2 छोटी चम्मच 
अमचूर पाउडर - 1/2 छोटी चम्मच 
नमक स्वादानुसार 
तेल - 1 छोटी चम्मच 





विधि :




1)- बैंगन को पानी से धो लें और बैंगन के निचले भाग में दो काट लगा दें। 
2)- एक प्लेट में सौंफ पाउडर, धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, हल्दी पाउडर,गरम मसाला पाउडर, अमचूर पाउडर और नमक को मिला लें। फिर सभी बैंगन के कटे भाग को मसाले से भर लें। 
3)- पैन में तेल गरम करें उसमें एक-एक करकें बैंगन डालें और आधा कप पानी डालकर ढक्क्न लगा दें और धीमी आँच पर दस से पन्द्रह मिनट तक पकने दें। 
4)- बैंगन मसाला तैयार हैं। गरमागरम रोटी के साथ परोसे। 













Friday 24 April 2015

फायदे अदरक के


                        



हमारी रसोई में अदरक का काफी उपयोग होता हैं। अदरक का प्रयोग सब्जी, मुरब्बा, चटनी और अचार के रूप में होता हैं। सोंठ का प्रयोग भी होता हैं। सोंठ का उपयोग जाड़ों में ही करना चाहिए गर्मियों में इसके उपयोग से बचना चाहिए। औषधियों से भरपूर अदरक का संतुलित उपयोग कर सकते हैं। 



1)- अदरक और प्याज का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से उल्टी बन्द हो जाती हैं। 
2)- जाड़ों में अदरक और लहसुन की सब्जी बना कर खाने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता हैं। 
3)- अदरक का रस, नीबू का रस और शहद को बराबर मात्रा में लेकर उसमें पिपरी डालकर दिन में दो से तीन बार पिएँ। खाँसी में लाभ मिलता हैं। 
4)- भूख ठीक से नहीं लग रही हो, पेट में गैस हो, कब्ज हो तो अदरक को बारीक़ काटकर उसमें नमक छिड़ककर खाएँ लाभ मिलेगा। 
5)- अगर आवाज बैठ गई हो तो अदरक का रस शहद में मिलाकर खाने से आवाज़ खुलती हैं।
6)- 4 ग्राम सोंठ का चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से मसूढ़ों की सूजन और दाँतों के दर्द में आराम मिलता हैं।
7)- अदरक का रस, पुदीने का रस और सेंधा नमक मिलाकर पीने से पेट दर्द में तुरन्त आराम मिलता हैं।
8)- अदरक, अजवायन और गुड़ बराबर मात्रा में कूट लें और इसे देसी घी में भूनकर पानी डालकर पकाएँ। इसे रोज खाने से कब्ज दूर होती हैं।
9)- अपच के चलते पेट में जलन हो, तो दो गन्ने का रस एक गाँठ अदरक के रस के साथ पिएँ।  जलन से आराम मिलेगा।
10)- अदरक और पुदीने का काढ़ा बनाकर पीने से शीत ज्वर में आराम मिलेगा। 

बैंगन चटनी ( Baingan Chutney)












सामग्री :




बैंगन (मध्यम आकार का )- 1 
नीबू का रस - 1 टेबलस्पून 
हरी मिर्च - 2 
चीनी - 1/2 छोटी चम्मच 
जीरा - 1/2 छोटी चम्मच 
हरा धनिया (बारीक़ कटा )- 2 टेबलस्पून 
नमक स्वादानुसार 




विधि :




1)- बैंगन को आँच पर भूने ठंडा होने पर छिलका उतार कर गूदा अलग कर दें। 
2)- मिक्सर जार में बैंगन का गूदा, हरी मिर्च, चीनी, नीबू का रस, जीरा, हरा धनिया और नमक डालकर बारीक़ पीस लें 
3)- आपकी बैंगन चटनी तैयार है। फ्रिज में रखे सैन्डविच और रोटी के साथ परोसें। 








Tuesday 21 April 2015

स्ट्रॉबरी लाइम फ्रेश कप ( Strawberry Lime Fresh Cup )










4 - गिलासों के लिए 



सामग्री :


फ्रेश स्ट्रॉबरी - 20 
आइस क्यूब्स - 8 
चीनी पाउडर - 1/2 कप 
नीबू का रस - 4 टेबलस्पून 
काला नमक - 1/2 छोटी चम्मच 
भुना जीरा पाउडर - 1/2 छोटी चम्मच
ड्रिंकिंग सोडा - 1 बोतल





विधि :



1)- मिक्सर जार में स्ट्रॉबरी, आइस क्यूब्स, चीनी, नीबू का रस, नमक और भुना जीरा पाउडर डालकर पीस लें और प्यूरी तैयार कर लें। 
2)- अब हर एक गिलास में स्ट्रॉबरी प्यूरी डालें।  गिलासों में सोडा डालें। स्ट्रॉबरी लाइम फ्रेश कप तैयार हैं। शीघ्र ही सर्व करें। 









Monday 20 April 2015

बैंगन का भरता ( Eggplant Bharta)







सामग्री :


बैंगन - 2 मध्यम 
प्याज बारीक़ कटा - 1 बड़ा 
टमाटर बारीक़ कटा - 2 मध्यम 
हरी मिर्च बारीक़ कटी - 2 
हरा धनिया बारीक़ कटा - 2 टेबलस्पून 
नमक स्वादानुसार 
तेल - 1 छोटी चम्मच 



विधि :

1)- बैंगन को आँच पर भूने ठंडा होने पर छिलका उतार कर गूदा निकालें और गूदे को मैश कर लें। 
2)- नॉनस्टिक पैन को गरम करें उसमें तेल डालकर गरम करें प्याज डाले और प्याज के गुलाबी होने तक भूने। टमाटर और हरी मिर्च डालकर एक मिनट तक भूने नमक और मैश किया हुआ बैंगन मिलाकर चलाएँ। 
3)- हरी धनिया से सजाए और गरमागरम परोसें। 



                               (आप चाहे तो अॉलिव ऑयल का इस्तेमाल कर सकते हैं )













Sunday 19 April 2015

वसा में घुलनशील विटामिन (Fat Soluble Vitamins)




                                                वसा में घुलनशील विटामिन   

                                                  (Fat Soluble Vitamins)




इस वर्ग के कुछ विटामिन शरीर में संश्लेषित हो जाते हैं। परन्तु यह मात्रा शरीर की आवश्यकतानुसार पर्याप्त नहीं रहती। अतः भोजन द्वारा इनकी भी पूर्ति करनी पड़ती है। यह विटामिन जल में घुलनशील नहीं होते, वसा में घुलनशील होते हैं। शरीर में इनकी आवश्यकता से अधिक मात्रा संचित हो जाती है तो इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ते हैं। इनकी कमी व अधिकता दोनों ही स्थितियाँ दुःखदायी होती हैं।





इस वर्ग के मुख्य विटामिन निम्न हैं -

1)- विटामिन 'ए' या रेटिनॉल (Retionl)
2)-विटामिन 'डी' या कैल्सीफेरल (Calciferol)
3)- विटामिन 'ई' या टोकोफेरल (Tochoferol)
4)- विटामिन 'के' या  (Anti hemerrhagic)

Tuesday 14 April 2015

जल में घुलनशील विटामिन (Water Soluble Vitamins)




                                                 जल में घुलनशील विटामिन

                                                (Water Soluble Vitamins)




इस प्रकार के विटामिन जल में घुलनशील होते हैं। शरीर में इनकी मात्रा संश्लेषित न हो पाने के कारण इनकी पूर्ति भोजन द्वारा ही करनी पड़ती हैं। जल में घुलनशील होने के कारण आवश्यकता से अधिक शरीर में पहुँचने पर जल के साथ ही घुलित अवस्था में उत्सर्जित कर दिए जाते हैं। इस वर्ग के अन्तर्गत विटामिन 'बी' व 'सी' आते हैं।




विटामिन 'बी' या थायमिन (Thiamine)




यह विटामिन एक न होकर कई विटामिनों का समूह है। इनकी संरचनाओं व कार्यों में विभिन्नता होती है। पहले बेरी-बेरी रोग जिस विटामिन की कमी से होता था उसी को विटामिन 'बी' कहा जाता था। धीरे-धीरे ज्ञात हुआ कि विटामिन 'बी' एक ही पदार्थ न होकर अनेक यौगिकों का समूह है इसीलिए इसे विटामिन 'बी' कॉम्पलैक्स ( B Complex) नाम दिया गया। इस वर्ग के अन्तर्गत आने वाले कुछ विटामिन्स के नाम इस प्रकार है -



1)- विटामिन थायमिन (Thiamine)
2)-विटामिन राइबोफ्लेबिन (Riboflavin)
3)-नायसिन या निकोटिनिक एसिड (Niacin or Nicotinic Acid)
4)-विटामिन  पाइरिडोक्सिन (Pyridoxin)
5)- पेंटाथैनिक एसिड (Pentothenic Acid)
6)- फोलिक एसिड ( Folic Acid )
7)- कोलीन (Choline)
8)- बायोटिन (Biotene)
9)- इनासीटोल (Inositol)
10)- पैरा अमीनो बैंजोइक एसिड (Para Amino Benzoic Acid)
11)- सायनोकोबालमिन (Cyanocobalamine)





Sunday 5 April 2015

विटामिन्स के गुण (PROPERTIES OF VITAMINS )





                                                 विटामिन्स के गुण

                                    (PROPERTIES OF VITAMINS)

1)- विटामिन्स प्राणी तथा वनस्पति दोनों में पाये जाते हैं। मुख्यतः ये वनस्पति से प्राप्त किये जाते हैं। 
2)- इनकी दैनिक आवश्यकता बहुत कम होती है लेकिन ऐसी स्थितियाँ जैसे गर्भावस्था, दूध का स्रवण, बाल्यावस्था - जिसमें चयापचय की क्रियाएँ तेज गति से होती हैं - विटामिन्स की दैनिक आवश्यकता अधिक होती है। 
3)- कुछ विटामिन्स जैसे वसा विलेय विटामिन्स, विटामिन 'सी' को छोड़कर इनका शरीर में संग्रह (Storage) नहीं होता है। 
4)- ये शक्तिशाली कार्बनिक पदार्थ होते है। 
5)- कुछ विटामिन जैसे A और D का शरीर में संश्लेषण होता है। 
6)- विटामिन्स पाचन विधि में नष्ट नहीं होते हैं। वे उसी रूप में अवशोषित कर लिए जाते है। 
7)- विटामिन को-एन्जाइम (Co-enzyme ) के रूप में चयापचय की क्रियाओं में भाग लेते है। 
8)- विटामिन जीवन के लिए अति आवश्यक पदार्थ है। 
9)- विटामिन नानएन्टीजेनिक (Non- antigenic) होते है। 
10)- कुछ विटामिन्स पानी में और कुछ वसा में घुलनशील होते हैं। 
11)- विटामिन्स को कृत्रिम विधि से संश्लेषित किया जाता हैं।  
12)- विटामिन की कमी से कई प्रकार के रोग हो जाते हैं। 

Saturday 4 April 2015

सुरक्षात्मक तत्व - विटामिन (Protective Nutrient - Vitamins)




                                              सुरक्षात्मक तत्व - विटामिन   

                                        ( Protective Nutrient - Vitamins )



विटामिन (Vitamine ) शब्द 1912 में सर्वप्रथम फंक (Funk) नामक वैज्ञानिक द्वारा प्रस्तावित किया गया। चावल के ऊपरी छिल्के से प्राप्त तत्व को बेरी-बेरी के रोगी को खिलाने से लाभ होता है। जीवन के लिए आवश्यक सुरक्षात्मक तत्व होने के कारण इसका नाम Vitamine ( Vital + Amines ) दिया गया। जीवन 
( Vital ) के लिए आवश्यक तथा बेरी-बेरी विरोधी तत्व (Preventing element ) में नाइट्रोजन (Amine) की उपस्थिति के कारण ही यह नाम ( Vitimine ) अधिक उपयुक्त समझा गया।  बाद में इस धारणा को गलत पाया गया क्योंकि पैलाग्रा,स्कर्वी,रिकेट्स आदि का सफलतापूर्वक उपचार करने वाले विटामिनों में नाइट्रोजन (amine) समूह बहुत कम मात्रा में ही पाया गया। अतः Vitamine शब्द के अन्त का e (ई) पृथक कर दिया गया।




"विटामिन एक प्रकार के कार्बनिक यौगिक होते हैं, जिनकी भोजन में उपस्थिति बहुत कम मात्रा में ही, परन्तु शारीरिक वृद्धि हेतु बहुत आवश्यक होती है। ये शरीर के नियामक (Regulators) की भाँति कार्य करते हैं तथा शरीर की चयापचयी क्रियाओं पर नियन्त्रण रखने वाले तत्व हैं। यदि ये तत्व भोजन में न मिलें तो विभिन्न हीनता जनित रोग हो जाते हैं।"




विटामिनों को ए, बी, सी, डी, ई, के आदि नाम दिए गए हैं। सन 1915 में मैकालम नामक वैज्ञानिक ने इन विटामिनो में से कुछ को जल में घुलनशील पाया तथा कुछ को वसा में घुलनशील। इसी आधार पर विटामिन का वर्गीकरण किया गया।




जल में घुलनशील विटामिन -

विटामिन 'बी' (काम्प्लैक्स)
विटामिन 'सी' 


वसा में घुलनशील विटामिन -

विटामिन 'ए'
विटामिन 'डी'
विटामिन 'ई'
विटामिन 'के'