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Friday 11 November 2016

आयोडीन (Iodine)



खनिज तत्वों के ट्रेस तत्व (Trace Elements)

आयोडीन (Iodine)



गर्दन में उपस्थित थॉयराइड ग्रन्थि का स्त्राव थायरोक्सिन (Thyroxin)का एक आवश्यक घटक आयोडीन के रूप में पाया जाता है। सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में 20-25 मिग्रा तक आयोडीन उपस्थित रहता है। यह शरीर के भाग का 00004%भाग या शरीर में पाये जाने वाले खनिज लवणों का 100वाँ हिस्सा होता है।       थॉयराइड ग्रन्थि के स्त्राव के रूप में सर्वप्रथम 1915 से इसे कैण्डल ने पहचाना। इस ग्रन्थि का स्त्राव थायरोक्सिन एक अन्तःस्त्रावी हार्मोन है जो बच्चे के विकास व वृद्धि में प्रमुख कार्य करता है। आयोडीन की कमी से इस ग्रन्थि से थायरोक्सिन कम मात्रा में स्त्रावित होता है,जिसके फलस्वरूप ग्रन्थि फूल जाती है। ऐसी स्थिति में सूजन को गलगण्ड (Goitre)या घेंघा कहते है। यह रोग बहुधा लड़कियों व स्त्रियों में देखने को मिलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)के वैज्ञानिकों के अनुसार विश्व में लगभग 200 मिलियन लोग इस तत्व की कमी से पीड़ित है। 



आयोडीन के कार्य -



1)- आयोडीन युक्त थायरोक्सिन शरीर की वृद्धि व विकास के लिए एक आवश्यक हार्मोन है। इसकी कम मात्रा स्त्रावित होने से कण्ठमाल या घेंघा (Goitre)रोग हो जाता है। अधिक समय तक ऐसी स्थिति होने पर बच्चों में शरीरिक व मानसिक वृद्धि बिलकुल रूक जाती है। व्यक्ति बड़ा होने पर भी  बच्चे के कद का रह जाता है। चेहरा भी बदशक्ल हो जाता है। यह स्थिति क्रेटिनिज्म (Cretinism)कहलाती है। 
2)- किशोरी बालिकाओं तथा गर्भावस्था में महिलाओं को आयोडीन की पर्याप्त मात्रा न मिल पाने पर घेंघा होने की सम्भावना रहती है। 
3)- आयोडीन थायरोक्सिन हार्मोन के माध्यम से कोशिकाओं में ऑक्सीकरण की दर को भी निश्चित करता है। अधिक स्त्रवण होने से ऊर्जा चयापचय की दर बढ़ जाती है ,फलस्वरूप अधिक ऊर्जा विमुक्त होती है। यह अधिक ऊर्जा ताप के रूप में पायी जाती है। थायरोक्सिन के कम स्त्रावण से चयापचय की गति मन्द पड़ जाती है। 
4)- आयोडीन की कमी से बाल न तो लम्बाई में बढ़ते है और न ही नये निकलते है। 
5)- थायरोक्सिन शरीर में कोलेस्ट्रोल संश्लेषण की मात्रा को भी प्रभावित करता है। इसके कम स्त्राव से कोलेस्ट्रोल स्तर सामान्य से बढ़ जाता है तथा अधिक होने से कोलेस्ट्रोल स्तर सामान्य से कम हो जाता है। 
6)- आयोडीन की कमी से प्रौढ़ व्यक्ति भी प्रभावित होते है। वे सुस्त हो जाते हैं  तथा हाथ -पाँव में सूजन आ जाती है। 


आयोडीन प्राप्ति के साधन -




आयोडीन साधारण भोज्य पदार्थों में बहुत कम मात्रा पाया जाता हैं। आयोडीन युक्त भूमि में उपजे फल,अनाज व सब्जियों में इसकी मात्रा पायी जाती है अर्थात जिस स्थान पर मिट्टी में व पानी में आयोडीन है इन स्थान पर उपजे फल व सब्जियों में भी आयोडीन की मात्रा आ जाती हैं। यही कारण हैं कि समुद्र तट पर या पास के इलाकों में पैदा की गई वनस्पति व जन्तु पदार्थो में आयोडीन की उपस्थिति अधिक रहती हैं। समुद्र घास , समुद्री मछली व प्याज में इसकी मात्रा अधिक रहती हैं। साधारण भोज्य पदार्थों से आयोडीन की मात्रा उपलब्ध न हो जाने के कारण एक सरल तरीका यह खोजा गया हैं कि साधारण खाने के नमक में आयोडीन मिश्रित कर नमक बनाया गया हैं जिससे आयोडीन की प्राप्ति सम्भव व सरल हो गयी हैं। प्रायः ऐसे नमक टाटा जैसे बड़ी कंपनियों ने बनाये हैं। बाजार में  (Iodized Salt)के रूप में यह उपलब्ध रहते हैं। 

Tuesday 13 September 2016

ताँबा (Copper)


         

    खनिज तत्वों के ट्रेस तत्व (Trace Elements)

                 ताँबा (Copper)



शरीर में समस्त ऊतकों में ताँबे की अल्प मात्रा में उपस्थिति होती है। रक्त में उपस्थित ताँबा भोजन के साथ संयुक्त होकर हीमोक्यूपिन (Haemocuprin)के रूप में लाल रक्त कणिकाओं में रहता है। इसी प्रकार प्लाज्मा में सेरुलोप्लाज्मिन (Ceruloplasmin)के यौगिक के रूप में ताँबा उपस्थित रहता है। सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में 100से 150 मिग्रा. ताँबे की उपस्थिति रहती है। 



मानव शरीर में ताँबे के कार्य -



1)- ताँबा हीमोग्लोबिन के निर्माण में एक उत्प्रेरक (Catalyst)के रूप में सहायक होता है। 
2)- शरीर में लोहे के अवशोषण व चयापचय में इसकी उपस्थिति अनिवार्य है। 
3)- फैटी एसिड के ऑक्सीकरण में सहायक होता है। 
4)- एस्कार्बिक एसिड (विटामिन 'सी ')के ऑक्सीकरण में सहायक है। 
5)- त्वचा को स्वाभाविक रंग प्रदान करने में इसकी उपस्थिति अनिवार्य है। ताँबे की कमी बालों को श्वेत रंग का बना देती है। 




ताँबे की प्राप्ति स्रोत -



ताँबे की उपस्थिति माँस,यकृत,अनाज,कुकुरमुत्ता,कॉफी,कोको व दूध में रहती है। माता के दूध की अपेक्षा गाय के दूध में इसकी मात्रा कम रहती है। ताँबे के बर्तन में भरा हुआ पानी पीने से भी इसकी मात्रा शरीर में पहुँचती है। 







Tuesday 16 August 2016

लोहा (Iron)





                  खनिज तत्वों के ट्रेस तत्व (Trace Elements)  

                                       लोहा (Iron)


लोहे की उपस्थिति हमारे शरीर में बहुत कम मात्रा में आवश्यक होती हैं परन्तु इसकी उपस्थिति अत्यन्त अनिवार्य हैं। एक सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में लगभग 4 ग्राम लोहा रहता है। शरीर में पाये जाने वाले लोहे का 70%भाग रक्त की हीमोग्लोबिन में,4%माँसपेशियों में,25%अस्थि मज्जा,यकृत वृक्कों व प्लीहा (spleen)में तथा 1%रक्ता प्लाज्मा तथा एन्जाइम में उपस्थित रहता है। 




शरीर में लोहे के कार्य :


1)- रक्त निर्माण का कार्य  


रक्त कणिकाओं में हीमोग्लोबिन एक आवश्यक भाग है ,जो लोहा (Haem)व ग्लोबिन (Globin)नामक प्रोटीन के संयोग से बनता है। लोहे की अधिकांश मात्रा इसी रूप में शरीर में उपस्थित रहती है। 


2)- शरीर में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइ -ऑक्साइड का संवाहक -


लौह लवण का मुख्य जैविक कार्य ऑक्सीजन व कार्बन डाइ -ऑक्साइड का परिवहन करना है। 



लोहे की प्राप्ति के स्रोत -


अंडा,माँस ,मछली ,यकृत आदि लोहे के साधन हैं। फलों में सेव ,अनार ,आड़ू ,खुमानी ,किशमिश ,अँगूर ,मुनक्का आदि में लोहे की पर्याप्त मात्रा मिलती है। गाढ़े रंग के मीठे पदार्थ (Molasses)जैसे गुड़ ,खजूर ,मुनक्का आदि लोहे की प्राप्ति के अच्छे स्रोत हैं। विभिन्न गहरे हरे रंग की पत्तेदार सब्जियों में लोहे की प्रचुर मात्रा रहती है। अण्डे के पीले भाग में सफेद भाग की अपेक्षा अधिक लोहा रहता है। साबुत अनाज में ही पर्याप्त रहता है। दूध व पनीर में लोहे की मात्रा नगण्य ही रहती है। 

Sunday 19 June 2016

सोडियम (Sodium) क्लोरीन (Chlorine) गन्धक (Sulphur)





                 खनिज तत्वों के मेजर तत्व (Major Elements)

                                सोडियम (Sodium)


इस खनिज लवण की पूर्ति आहार में यौगिक के रूप में सोडियम क्लोराइड (साधारण नमक )द्वारा की जाती है। सोडियम क्लोराइड या साधारण नमक सोडियम का एक यौगिक है। सामान्य स्वस्थ प्रौढ़ व्यक्ति के शरीर में 100 ग्राम सोडियम तत्व उपस्थित रहता है। शरीर की समस्त बाह्य कोशकीय द्रवों और प्लाज्मा आदि में यह उपस्थित रहता है। 


सोडियम के कार्य :


1)- सोडियम शरीर में अम्ल व क्षारीय स्थिति में सन्तुलन बनाये रखने में सहायक होता है। 
2)- शरीर के ऊतक द्रवों व प्लाज्मा के रसाकर्षण दबाब को नियन्त्रित करना है। शरीर में उचित जल सन्तुलन बनाये रखने में भी इसकी भूमिका रहती है। 
3)- ह्रदय की माँसपेशियों के संकुचन व नाड़ी ऊतकों की संवेदन शक्ति को नियमित रखता है। ह्रदय की धड़कन को सामान्य बनाये रखता है। 


सोडियम प्राप्ति के स्रोत :


सोडियम प्राप्ति का अच्छा स्रोत खाने का नमक है। गाजर,चुकन्दर,पालक ,दूध,पनीर,माँस,अण्डा में भी सोडियम अल्प मात्रा में रहती है। अनाजों में इसकी उपस्थिति अति अल्प मात्रा में रहती है। 


दैनिक आवश्यकता :


खाने का नमक सोडियम प्राप्ति का अच्छा साधन हैं।  प्राय : 2-6 ग्राम सोडियम की मात्रा हम अपने आहार में प्रतिदिन लेते हैं। 






                                           क्लोरीन (Chlorine)


शरीर में अम्ल व क्षार की स्थिति का सन्तुलन बनाये रखने में भी सहायक होता है। उचित शारीरिक बाढ़ की लिए भोजन में क्लोरीन की उपस्थिति अनिवार्य है। आमाशय से निकलने वाले हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का यह संगठन करता है। 
     प्रायः क्लोरीन की अधिकांश मात्रा भोजन में नमक के द्वारा ली जाती हैं।  जन्तु भोज्य पदार्थ जैसे -पनीर , अण्डा व सूअर के माँस में इसकी उपस्तिथि अधिक मात्रा में होती हैं।  वनस्पति फल व सब्जियों में यह काफी कम मात्रा में पाया जाता है। भोजन के द्वारा हम प्रतिदिन 3-8 ग्राम तक क्लोरीन क्लोरीन की मात्रा ग्रहण करते हैं। 





                                       गन्धक (Sulphur)


गन्धक त्वचा,बाल व नाखून के लिए महत्त्वपूर्ण होता है। 
      प्रोटीन युक्त आहार में गन्धक की प्राप्ति पर्याप्त मात्रा में हो जाती है। मूँगफली,पनीर व दालें आदि इसके अच्छे साधन हैं। 
       



Monday 4 April 2016

मैग्नीशियम (Magnesium) पोटेशियम (Potassium)





                  खनिज तत्वों के मेजर तत्व (Major Elements)

                               मैग्नीशियम (Magnesium)



समस्त शरीर में पाये जाने वाले मैग्नीशियम का 70% भाग अस्थियों व दाँतो में तथा शेष भाग जल ऊत्तकों में प्रोटीन के साथ उपस्थित रहता हैं। एक सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में लगभग 20-30 प्रतिशत तक मैग्नीशियम की उपस्थिति रहती हैं।  माँसपेशियों में मैग्नीशियम की उपस्थिति कैल्शियम से तीन ग्राम तक अधिक रहती हैं।  


मैग्नीशियम के कार्य :


1)- मैग्नीशियम शरीर की अनेक रासायनिक प्रतिक्रियाओं में महत्वपूर्ण योगदान देता हैं। कार्बोहायड्रेट व प्रोटीन चयापचय में महत्वपूर्ण कार्य करता हैं। 
2)- शरीर में कैल्शियम व फास्फोरस का उचित समन्वय बनाये रखने में मैग्नीशियम महत्वपूर्ण कार्य करता हैं। 
3)- माँसपेशियों व नाड़ी ऊतकों की शक्ति संबर्द्धन में सहायता करता हैं। 


मैग्नीशियम के प्राप्ति स्रोत :


दाल,अनाज,हरी सब्जियाँ,केला,खजूर आदि में मैग्नीशियम उपस्थित रहता हैं। दूध व दूध से बने पदार्थो में इसकी मात्रा काफी कम रहती हैं। 





                              पोटेशियम (Potassium)



पोटेशियम खनिज लवण की उपस्थिति अन्त: कोशिक्रिय द्रवों, लाल रक्त कणिकाओं व माँसपेशियों में रहती हैं। नित्य प्रति के आहार द्वारा इसकी 1.5-6.00ग्राम तक मात्रा लेना पर्याप्त रहता हैं। 


पोटेशियम के कार्य: 


पोटेशियम विशेष रूप से हृदय धड़कन की गति को नियमित रखने का कार्य करता हैं। माँसपेशियों के संकुचन,नाड़ी ऊतकों की संवेदन शक्ति बनाये रखने में पोटेशियम सहायक भूमिका निभाता हैं। 


पोटेशियम के प्राप्ति स्रोत:


दूध व दूध से बने पदार्थो में पोटेशियम तत्व पाया जाता हैं। रसदार फलों जैसे---नीबू,संतरा आदि में पोटेशियम तत्व उपस्थित रहते हैं। मक्का के आटे तथा चावल की ऊपरी पर्त में इसकी अल्प मात्रा रहती हैं। कुछ सब्जियों व फलों जैसे---खीरा,ककड़ी,टमाटर,आड़ू तथा अंगूर में भी यह पाया जाता हैं। आलू तथा आलू चिप्स में भी इस तत्व की उपस्थिति रहती हैं। 
   समस्त वनस्पति भोज्य पदार्थो में पोटेशियम उपस्थित रहता हैं। चाय,काफी,कोको,चावल की सफेदी में इसकी अधिकता होती हैं। 





Friday 18 March 2016

फॉस्फोरस (Phosphorus)





खनिज तत्वों के मेजर तत्व (Major Elements)

               फॉस्फोरस (Phosphorus)


शरीर में खनिज तत्वों की कुल उपस्थिति का 1/4 भाग फॉस्फोरस का रहता हैं। प्रायः कैल्शियम तत्वों के बाद फॉस्फोरस की ही मात्रा अधिकतम होती है। फॉस्फोरस का अधिकतम 80% भाग हड्डियों व दाँतों में कैल्शियम के साथ ही पाया जाता है और शेष 20% भाग शरीर के कोमल व  तरल ऊतकों में रहता है। एक सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में 400 से 700 ग्राम तक फॉस्फोरस की उपस्थिति एक फास्फेट के रूप में रहती है। 



फॉस्फोरस के कार्य :



1)-उच्च ऊर्जा बन्धकों (High Energy Bond )का निर्माण करने में सहायक। 
2)- अस्थियों व दाँतों के निर्माण में सहायक। 
3)- अम्ल व क्षार के सन्तुलन में नियन्त्रण। 
4)- आवश्यक शारीरिक यौगिकों का भाग। 
5)- पोषक तत्वों के अवशोषण व परिसंचरण में सहायक। 



फॉस्फोरस प्राप्ति के स्रोत :



वैसे तो कैल्शियम व फॉस्फोरस की उपस्थिति भोज्य पदार्थों में साथ ही साथ होती है,परन्तु फॉस्फोरस कैल्शियम की अपेक्षा खाद्य पदार्थों में आसानी से मिल जाता है। सामान्यतः शरीर में फॉस्फोरस का अभाव कम ही पाया जाता है। प्रोटीन युक्त आहार में फॉस्फोरस भी उपस्थित रहता है। फॉस्फोरस प्रोटीन के साथ संयुक्त होकर फास्फो प्रोटीन के रूप में दूध की प्रोटीन केसीन में उपस्थित रहता है। अण्डे के पीले भाग में न्यूक्लियो प्रोटीन में फॉस्फोरस की मात्रा रहती है। विभिन्न वसाओं में फोस्फोलिपिड और कार्बोहाइट्रेट में फोस्फोरिक एस्टर के रूप में यह उपस्थित रहता है। विभिन्न अनाज,दालों,महुए व तिल के बीजों में फाइटिन व फाइटिक एसिड के रूप में फॉस्फोरस उपस्थित रहता है। 
      फॉस्फोरस के उत्तम स्रोत हैं -दूध,पनीर,अण्डे की जर्दी,माँस,मछली,यकृत व साबुत अनाज आदि। यकृत में फॉस्फोरस अधिक मात्रा में पाया जाता है। बिना पालिश किये अनाजों की फॉस्फोरस फाइटिक एसिड के रूप में होने के कारण इसका पूर्ण उपयोग नहीं हो पाता। फल व सब्जियों में फॉस्फोरस की कम मात्रा रहती है। 



Monday 22 February 2016

कैल्शियम (Calcium)




खनिज तत्वों के मेजर तत्व (Major Elements)


             कैल्शियम (Calcium)



समस्त खनिज तत्वों में कैल्शियम की मात्रा सर्वाधिक होती है। शरीर भार का कुल 2%भाग कैल्शियम का बना होता हैं। सभी खनिज तत्वों की कुल मात्रा का आधा भाग अकेला कैल्शियम ही होता है। एक प्रौढ़ व्यक्ति के शरीर में कैल्शियम 1200 ग्राम तक होता है। कैल्शियम का 99%भाग शरीर के दाँत व अस्थियों को सुदृढ़ता प्रदान करने में तथा 1%भाग शरीर के तरल व कोमल ऊतकों को बनाने में व्यय होता है। इसके अतिरिक्त कैल्शियम की कुछ मात्रा पसीने द्वारा भी उत्सर्जित कर दी जाती है। 
            कैल्शियम की आवश्यकता होने पर शरीर में उपस्थित कैल्शियम के प्रत्येक अंश का शरीर भली भाँति प्रयोग करता है। स्वस्थ व्यक्ति की कैल्शियम अवशोषण क्षमता दुर्बल व्यक्ति की अपेक्षा अधिक रहती है। प्रायः बाल्यावस्था में 1 लीटर दूध की मात्रा अपेक्षित कैल्शियम की पूर्ति कर पाने में समर्थ होती है। 
             आहार नाल का अम्लीय माध्यम कैल्शियम अवशोषण में सहायक होता है। इसी तरह विटामिन 'डी ' व 'सी ' की उपस्थिति कैल्शियम अवशोषण की मात्रा को बढ़ा देते हैं। इसके विपरीत वसा व सैल्यूलोज रेशों की मात्रा,ऑक्जेलिक एसिड,फाइटिक एसिड आदि की मात्रा कैल्शियम अवशोषण में विघ्न पैदा करती है। ऑक्जेलिक एसिड कैल्शियम के साथ संयुक्त होकर कैल्शियम ऑक्जेलेट बनाता है जो अवशोषित नहीं हो पाता। पालक,चुकन्दर,कोको में ऑक्जेलिक एसिड उपस्थित रहता है। पालक कैल्शियम का अच्छा स्रोत है लेकिन फिर भी ऑक्जेलिक एसिड की उपस्थिति के कारण इसके कैल्शियम का उपयोग न के बराबर है इसी प्रकार फाइटिक एसिड जो अनाज के ऊपरी छिलकों में उपस्थित रहता है,कैल्शियम के साथ संयुक्त होकर अघुलनशील लवण बना देता है जिससे इसका अवशोषण नहीं हो पाता। 



कैल्शियम का अवशोषण तथा चयापचय 


कैल्शियम तत्व का अवशोषण छोटी आँत में होता है और रक्त परिवहन द्वारा शरीर विभिन्न भागों में इसकी पूर्ति की जाती है। शरीर में अतिरिक्त कैल्शियम हड्डियों में संग्रहित कर लिया जाता है और कैल्शियम की जब रक्त में मात्रा कम हो जाती है तो हड्डियों में से कैल्शियम निकल कर रक्त में आ जाता है,परन्तु दाँतों में प्रयुक्त कैल्शियम ज्यों का त्यों रहता है। वह स्थायी रूप से प्रयुक्त हो जाता है। हड्डियों में कैल्शियम लगातार आता -जाता रहता है। इसी कारण हड्डियों को 'कैल्शियम का भण्डार 'कहा जाता है। शरीर में पेराथायराइड ग्रन्थि (Parathyroid Gland)अपने हार्मोन द्वारा रक्त में कैल्शियम की मात्रा पर नियन्त्रण रखती है। पैराथायरॉइड हार्मोन रक्त में कैल्शियम की मात्रा 
9-11 मिग्रा /100 मि.ली.बनाये रखती है जो कैल्शियम अवशोषित नहीं हो पाता उसे मूत्र व मल द्वारा निष्कासित कर दिया जाता है। 



कैल्शियम के कार्य 

कैल्शियम शरीर में निम्नलिखित प्रमुख कार्य करता है -

1)- अस्थियों के निर्माण में सहायक 
2)- दाँतों के निर्माण में सहायक 
3)- रक्त का जमना 
4)- वृद्धि में सहायक 
5)- कार्बोहाइड्रेट,वसा व प्रोटीन के पाचन में प्रयुक्त क्रियाओं में उत्प्रेरक की भाँति कार्य 
6)- संवेदना प्रेषण में सहायक 
7)- कोशिका भित्ति की पारगम्य क्षमता को नियन्त्रित करना 
8)- हृदय स्पन्दन व माँसपेशियों की क्रियाओं के नियन्त्रण में सहायक 




कैल्शियम प्राप्ति के प्रमुख स्रोत 


कैल्शियम का प्रमुख स्रोत दूध है। यह दूध ताजा,मक्खन निकला,पाउडर तथा मट्ठा आदि के रूप में हो सकता है। दूध के बिना कैल्शियम की पूर्ति सम्भव नहीं। दूध में कैल्शियम अकार्बनिक लवण के रूप में मिलता है जो रक्त में शीघ्रता से अवशोषित हो जाती है। दूध का प्रति उत्तम प्रकार का होता है। कार्बोहाइट्रेट (लेक्टोज )भी शीघ्र पाचन योग्य होता है। सूखे दूध में विटामिन 'डी 'की भी उपस्थिति पायी जाती है। 

खाद्य -पदार्थ     

                                

1)- दूध एवं दूध से बनी वस्तुएँ 


गाय का ताजा दूध                                     
भैंस का ताजा दूध                                       
बकरी का ताजा दूध                                    
गाय के दूध का दही                                   
पनीर                                                      
भैंस के दूध का खोया                                

2)- अनाज 


रागी      
                                                 

3)-दालें                                                                                                               

                                      
मूँग की दाल                                        
अरहर की दाल                                     
चने की दाल
उरद की दाल                                        

4)- काष्ठफल और तेल वाले बीच 


तिल                                                 
बादाम                                               

5)- पत्ते वाली हरी सब्ज़ियाँ 


गाजर की पत्ती                                   
पुदीना                                              
करी की पत्ती                                    
संझना की पत्ती                               

6)- माँस 

सूखी हुई छोटी मछली                    





Monday 8 February 2016

खनिज तत्वों के कार्य (BENEFITS OF MINERAL ELEMENTS)




खनिज तत्वों के कार्य :



खनिज तत्वों के शरीर निर्माणक कार्य (Constructive Work)


1)- दाँत व अस्थियों के निर्माण करने व उन्हें सुदृढ़ बनाए रखने में जैसे -कैल्शियम,फॉस्फोरस व मैग्नीशियम आदि तत्व। 
2)- कोमल ऊतकों के निर्माण में जैसे -फॉस्फोरस तथा गन्धक तत्व। 
3)- रक्त में उपस्थित हीमोग्लोबिन के निर्माण में जैसे-लोहा,ताँबा व कैल्शियम भी रक्त के संगठन में सहायक होते हैं।
4)- थायरोक्सिन हार्मोन का निर्माण करने जैसे -आयोडीन। 


खनिज तत्वों के शरीर नियामक कार्य (Regulatory)


1)- कुछ खनिज तत्वों की प्रकृति अम्लीय होती है तथा कुछ की प्रकृति क्षारीय। इनके अम्लीय या क्षारीय होने के कारण ही ये शरीर में अम्ल व क्षार का सन्तुलन बनाए रखने में सहायक होते हैं। 
2)- कुछ खनिज तत्व जैसे -सोडियम,पोटेशियम,क्लोरीन आदि शरीर में जल की मात्रा में सन्तुलन बनाए रखते हैं। 
3)- कुछ खनिज तत्व माँसपेशीय तन्तुओं की संकुचन क्रिया में मदद करते हैं। 
4)- कुछ खनिज तत्व विभिन्न पोषक तत्वों के चयापचय को सुचारू रूप से संचालित करने में सहायक भूमिका निभाते हैं। 
5)- नाड़ियों की संवेदना शक्ति को सुचारू बनाए रखने का कार्य खनिज तत्वों का ही हैं। 

Wednesday 3 February 2016

शरीर निर्माणक भोज्य तत्व -खनिज लवण (Body Building Nutrient-Mineral Elements)



शरीर निर्माणक भोज्य तत्व -खनिज लवण 

(Body Building Nutrient-Mineral Elements)


शरीर में जल,कार्बोहाइड्रेट,वसा व प्रोटीन के अतिरिक्त कुछ और अकार्बनिक तत्व भी सूक्ष्म मात्रा में उपस्थित रहते हैं जो मानव की विभिन्न चयापचयी (Metabolic)क्रियाओं में सहायक होते हैं जिन्हें खनिज लवण (Mineral Elements)कहा जाता हैं। यह शरीर में 4% भार की पूर्ति करते हैं तथापि शरीर में इनकी उपस्थिति बहुत अनिवार्य है। ये तत्व शरीर की वृद्धि व निर्माण की क्रियाओं में सहायक भूमिका अदा करते हैं। ये खनिज तत्व भूमि में उपस्थित होते हैं। मिट्टी में भी विभिन्न पादप वनस्पति उगते हैं जो जल के साथ ही इन लवणों को अपनी जड़ द्वारा भूमि से शोषित कर लेते हैं। जब जान्तव इन वनस्पतियों को खाते हैं तो ये खनिज लवण उनके शरीर में पहुँच जाते हैं। इस प्रकार भूमि से प्राप्त खनिज तत्व वनस्पति स्रोत से अन्ततः मानव शरीर में पहुँच जाते हैं जो मानव मृत्यु के साथ ही पुनः मिट्टी में आ जाते हैं। ये खनिज तत्व अकार्बनिक होते हैं,अर्थात इनमें कार्बन की उपस्थिति नहीं होती। 


विभिन्न प्रकार के खनिज लवण 


शरीर के लिए आवश्यक पाँच तत्व - कार्बोहाइट्रेट,वसा,प्रोटीन,विटामिन व जल की भाँति ये भी अनिवार्य व आवश्यक तत्व हैं। ये प्रायः शरीर की निर्माणी,स्वास्थ्य संबंधी व अन्य जीवनदायिनी क्रियाओं के संचालन में आवश्यक होते हैं। शरीर के लिए आवश्यक कुल 24 खनिज तत्वों की उपस्थिति का पता अभी तक लग पाया हैं। ये खनिज तत्व निम्नलिखित हैं। 

1-कैल्शियम 

2-फास्फोरस 

3-पोटेशियम 

4-सोडियम 

5-सल्फ़र (गन्धक )

6-मैग्नीशियम 

7-लोहा 

8-मैंग्नीज 

9-ताँबा 

10-आयोडीन 

11-कोबाल्ट 

12-जिंक (जस्ता )

13-एल्युमिनियम 

14-आसेंनिक 

15-ब्रोमीन 

16-क्लोरीन 

17-फ्लुओरिन 

18-निकिल 

19-क्रोमियम 

20-कैडमियम 

21-सैलेनियम 

22-सिलिकन 

23-मालिबॉडेनम 

24-क्लोराइड्स 



कुछ खनिज तत्वों की उपस्थिति शेष तत्वों से अधिक होती हैं जबकि कुछ खनिज तत्व न्यून मात्रा में आवश्यक होते हैं। कैल्शियम,फॉस्फोरस,पोटेशियम,क्लोरीन,सोडियम व मैग्नीशियम आदि ऐसे तत्व है जिनकी शरीर में अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है इसलिए इन्हें मेजर तत्व (Major Elements)कहा जाता है। जबकि कुछ तत्व जैसे -लोहा,ताँबा,मैग्नीज,आयोडीन आदि कम मात्रा में ही शरीर के लिए आवश्यक होते  है ये ट्रेस तत्व (Trace Elements)कहलाते हैं। शरीर में इनकी बहुत कम मात्रा आवश्यक होती है फिर भी इनके महत्त्व को नकारा नहीं जा सकता। इनकी उपस्थिति आवश्यक हैं।