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Friday 11 November 2016

आयोडीन (Iodine)



खनिज तत्वों के ट्रेस तत्व (Trace Elements)

आयोडीन (Iodine)



गर्दन में उपस्थित थॉयराइड ग्रन्थि का स्त्राव थायरोक्सिन (Thyroxin)का एक आवश्यक घटक आयोडीन के रूप में पाया जाता है। सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में 20-25 मिग्रा तक आयोडीन उपस्थित रहता है। यह शरीर के भाग का 00004%भाग या शरीर में पाये जाने वाले खनिज लवणों का 100वाँ हिस्सा होता है।       थॉयराइड ग्रन्थि के स्त्राव के रूप में सर्वप्रथम 1915 से इसे कैण्डल ने पहचाना। इस ग्रन्थि का स्त्राव थायरोक्सिन एक अन्तःस्त्रावी हार्मोन है जो बच्चे के विकास व वृद्धि में प्रमुख कार्य करता है। आयोडीन की कमी से इस ग्रन्थि से थायरोक्सिन कम मात्रा में स्त्रावित होता है,जिसके फलस्वरूप ग्रन्थि फूल जाती है। ऐसी स्थिति में सूजन को गलगण्ड (Goitre)या घेंघा कहते है। यह रोग बहुधा लड़कियों व स्त्रियों में देखने को मिलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)के वैज्ञानिकों के अनुसार विश्व में लगभग 200 मिलियन लोग इस तत्व की कमी से पीड़ित है। 



आयोडीन के कार्य -



1)- आयोडीन युक्त थायरोक्सिन शरीर की वृद्धि व विकास के लिए एक आवश्यक हार्मोन है। इसकी कम मात्रा स्त्रावित होने से कण्ठमाल या घेंघा (Goitre)रोग हो जाता है। अधिक समय तक ऐसी स्थिति होने पर बच्चों में शरीरिक व मानसिक वृद्धि बिलकुल रूक जाती है। व्यक्ति बड़ा होने पर भी  बच्चे के कद का रह जाता है। चेहरा भी बदशक्ल हो जाता है। यह स्थिति क्रेटिनिज्म (Cretinism)कहलाती है। 
2)- किशोरी बालिकाओं तथा गर्भावस्था में महिलाओं को आयोडीन की पर्याप्त मात्रा न मिल पाने पर घेंघा होने की सम्भावना रहती है। 
3)- आयोडीन थायरोक्सिन हार्मोन के माध्यम से कोशिकाओं में ऑक्सीकरण की दर को भी निश्चित करता है। अधिक स्त्रवण होने से ऊर्जा चयापचय की दर बढ़ जाती है ,फलस्वरूप अधिक ऊर्जा विमुक्त होती है। यह अधिक ऊर्जा ताप के रूप में पायी जाती है। थायरोक्सिन के कम स्त्रावण से चयापचय की गति मन्द पड़ जाती है। 
4)- आयोडीन की कमी से बाल न तो लम्बाई में बढ़ते है और न ही नये निकलते है। 
5)- थायरोक्सिन शरीर में कोलेस्ट्रोल संश्लेषण की मात्रा को भी प्रभावित करता है। इसके कम स्त्राव से कोलेस्ट्रोल स्तर सामान्य से बढ़ जाता है तथा अधिक होने से कोलेस्ट्रोल स्तर सामान्य से कम हो जाता है। 
6)- आयोडीन की कमी से प्रौढ़ व्यक्ति भी प्रभावित होते है। वे सुस्त हो जाते हैं  तथा हाथ -पाँव में सूजन आ जाती है। 


आयोडीन प्राप्ति के साधन -




आयोडीन साधारण भोज्य पदार्थों में बहुत कम मात्रा पाया जाता हैं। आयोडीन युक्त भूमि में उपजे फल,अनाज व सब्जियों में इसकी मात्रा पायी जाती है अर्थात जिस स्थान पर मिट्टी में व पानी में आयोडीन है इन स्थान पर उपजे फल व सब्जियों में भी आयोडीन की मात्रा आ जाती हैं। यही कारण हैं कि समुद्र तट पर या पास के इलाकों में पैदा की गई वनस्पति व जन्तु पदार्थो में आयोडीन की उपस्थिति अधिक रहती हैं। समुद्र घास , समुद्री मछली व प्याज में इसकी मात्रा अधिक रहती हैं। साधारण भोज्य पदार्थों से आयोडीन की मात्रा उपलब्ध न हो जाने के कारण एक सरल तरीका यह खोजा गया हैं कि साधारण खाने के नमक में आयोडीन मिश्रित कर नमक बनाया गया हैं जिससे आयोडीन की प्राप्ति सम्भव व सरल हो गयी हैं। प्रायः ऐसे नमक टाटा जैसे बड़ी कंपनियों ने बनाये हैं। बाजार में  (Iodized Salt)के रूप में यह उपलब्ध रहते हैं।