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Thursday 26 November 2015

वसा में घुलनशील विटामिन- विटामिन 'के '(Vitamin 'K')





वसा में घुलनशील विटामिन 

विटामिन 'के '



विटामिन 'के ' की खोज सर्वप्रथम डॉ. डेम (Dr. Dam)ने 1933 में की थी। उन्होंने प्रयोगों द्वारा सिद्ध किया कि विटामिन 'के ' रक्त स्राव को रोककर रक्त का थक्का जमाने में सहायक होता है। इसी विशेषता के कारण इस विटामिन का नाम रक्त का थक्का जमाने वाला विटामिन (Coagulative Vitamin) या  (Antiheamorrhange Vitamin) भी रखा गया। 



विटामिन 'के 'की प्राप्ति के स्रोत :



विभिन्न वनस्पतियों जैसे गोभी,सोयाबीन,हरे पत्ते वाली सब्जियों में यह मुख्य रूप से पाया जाता हैं। जन्तुओं की आँत में उपस्थित कुछ बैक्टीरिया भी विटामिन 'के 'का निर्माण करते हैं। 



विटामिन 'के ' के कार्य :



इस जीवनसत्व का महत्त्वपूर्ण कार्य रक्त को जमाने की क्रिया (Coagulating of Blood)है। यह रक्त में पाया जाने वाला एक पदार्थ प्रोथ्रोम्बिन (Prothrombin)के संश्लेषण में सहायक होता है। प्रोथ्रोम्बिन थ्रोम्बिन में परिवर्तित होकर फाइब्रिन में बदल जाता है। जिसके कारण रक्त स्राव वाले स्थान पर महीन तन्तुओं का जाल -सा बन जाता है। यह बढ़ते हुए रक्त पर थक्का जमा देता है जिससे रिसते हुए रक्त के रास्ते में रूकावट आ जाती है और रक्त बहना बन्द हो जाता है। इसकी कमी से बहता हुआ रक्त रूकता नहीं है और अधिक समय तक बहता रहता है। 

Monday 2 November 2015

वसा में घुलनशील विटामिन-विटामिन 'ई '(Vitamin'E')




वसा में घुलनशील विटामिन

विटामिन 'ई '


विटामिन 'ई ' मनुष्य व जन्तुओं में प्रजनन संस्थान की क्रियाशीलता हेतु आवश्यक होता हैं। 1922 में ईवान्स व विशप ने चूहों पर अनेक प्रयोग किये और देखा कि कच्ची सब्जियों के तेल में उपस्थित व वसा में घुलनशील यह तत्व चूहों की सन्तानोत्पत्ति में सहायक होता है। सन्तानोत्पत्ति में सहायक इस तत्व को विटामिन 'ई ' का नाम दिया गया। प्रजनन संस्थान के कार्यों को नियन्त्रित करने वाला यह विटामिन बाँझपन को दूर करता है। इसी विशेषता के कारण इसे बाँझपन विरोधी (Anti Sterlity Factor)के रूप में भी जाना जाता है। 



विटामिन 'ई ' प्राप्ति के स्रोत :


विभिन्न अनाजों के भ्रूण के तेल (जैसे -नारियल ,अलसी ,सरसों ,बिनौला )इसकी प्राप्ति के मुख्य साधन हैं। वनस्पति तेलों व वसाओं में इसकी अच्छी मात्रा उपस्थित रहती है। इसके अतिरिक्त यह विटामिन यकृत अण्डा ,अंकुरित ,अनाज ,माँस ,मक्खन में भी पाया जाता है। फल व सब्जियों में इसकी अल्प मात्रा रहती है। 


विटामिन 'ई 'के कार्य :


1)- यह विटामिन प्रजनन क्षमता को विकसित करता है। इसकी कमी से बाँझपन आता है। भ्रूण के विकास में यह विटामिन सहायक कार्य करता है। इसकी कमी से पुरूषों के शुक्राणु (Sperm)का बनना रूक जाता है तथा स्त्री के शरीर में भ्रूण गर्भ में ही मर जाते हैं। 
2)- विटामिन 'ई 'का एक कार्य इसकी ऑक्सीजन प्रतिरोधात्मकता के कारण है। यह विटामिन O2 शीघ्रता से शोषित करके आँखों में विटामिन 'ए 'का ऑक्सीकरण कम करता है। इस प्रकार विटामिन 'ए 'की बचत होती है। विटामिन 'ए 'असंतृप्त वसीय अम्लों का ऑक्सीकरण होने से रोकता है। जिससे चयापचय की गति नियन्त्रित बनी रहती है। 
3)- विटामिन 'ई 'लाल रक्त कणिकाओं के ऑक्सीकारक पदार्थों को टूटने -फूटने से रोकता है और उनकी जीवन अवधि बढ़ाता है।                                                      

Tuesday 29 September 2015

वसा में घुलनशील विटामिन - विटामिन 'डी '(Vitamin 'D')






वसा में घुलनशील विटामिन 


       विटामिन 'डी '


1918 में सर्वप्रथम मैलनवाय (MELLONBY)ने पाया कि चूहों में रिकेट्स रोग की स्थिति में कॉड लिवर ऑयल का उपयोग लाभकारी होता हैं। मैकोलम (MECOLLUM)व उसके सहयोगियों ने अध्ययनों से निष्कर्ष निकाला कि यदि कॉड लिवर ऑयल से विटामिन 'ए 'की मात्रा नष्ट कर दी जाएँ तो भी रिकेट के उपचार में लाभ मिलता है। इससे निष्कर्ष निकला कि विटामिन 'ए 'रिकेट रोग का उपचार करने में सहायक नहीं हैं। रिकेट दूर करने वाले इस पदार्थ (Anti Rachetic Substance)को विटामिन 'डी ' नाम दिया गया। सूर्य की अल्ट्रावॉयलट किरणों के प्रभाव से शरीर में संश्लेषित हो सकने की क्षमता के कारण इसे धूप का विटामिन (Sun Shine Vitamin)
भी कहा जाता हैं। 




विटामिन 'डी ' प्राप्ति के स्रोत :


1)-वनस्पति से :



वनस्पति भोज्य पदार्थों में ये नहीं पाया जाता हैं। 


2)- जन्तुओं में :


यह विटामिन मुख्य रूप से मछली के यकृत के तेल में पाया जाता हैं इसके अतिरिक्त अण्डा,दूध,पनीर में भी इसकी प्राप्ति होती है। 
         विटामिन 'डी ' की कुछ मात्रा हमारे शरीर में धूप द्वारा भी पहुँचती रहती हैं। जब प्रकाश की अल्ट्रावॉयलट किरणें त्वचा में उपस्थित कॉलेस्ट्रोल पर पड़ती हैं तो विटामिन 'डी 'का निर्माण होता है। यही कारण है कि शिशुओं को उनकी माताएँ सुबह मालिश करके धूप में थोड़ी देर लिटा देती हैं। 



विटामिन 'डी ' के कार्य :


1)- विटामिन 'डी 'शरीर में कैल्शियम व फॉस्फोरस के आंत्र में शोषण को नियन्त्रित करता है। विटामिन 'डी 'की कमी से कैल्शियम व फॉस्फोरस का अवशोषण कम हो जाता है जिससे ये तत्व शरीर में मल पदार्थों के साथ उतसर्जित हो जाते हैं। 

2)-विटामिन 'डी 'रक्त में कैल्शियम व फॉस्फोरस की मात्रा नियन्त्रित करता है। अस्थियों में एकत्र कैल्शियम व फॉस्फोरस आवश्यकता पड़ने पर पुनः रक्त में मिल जाता है। विटामिन 'डी 'की कमी से अस्थियों का कैल्शियम व फॉस्फोरस रक्त में निकलने लगते है जिससे रक्त में इनकी मात्रा बढ़ जाती है। 

3)-शरीर की उचित वृद्धि हेतु विटामिन 'डी 'अत्यन्त ही महत्वपूर्ण तत्व है। 

4)- विटामिन 'डी 'मुख्य रूप से अस्थियों के निर्माण में मदद करता हैं। यह अस्थियों को दृढ़ता प्रदान करता है। अस्थियों में कैल्शियम फास्फेट के संग्रहण को नियन्त्रित करता है। इसकी कमी से अस्थियों में कैल्शियम फास्फेट ठीक रूप से संग्रहित नहीं हो पाता और अस्थियाँ मुलायम होकर टूटने लगती हैं। 

5)-विटामिन 'डी ' दाँतों के स्वस्थ विकास हेतु भी आवश्यक है। इसकी कमी से दाँतों के डेन्टीन व ऐनामेल का स्वास्थ्य प्रभावित होता है जिससे दाँत शीघ्र ही खराब हो जाते हैं। 

6)-विटामिन 'डी 'पैराथायराइड ग्रन्थि की क्रियाशीलता को नियन्त्रित करता है। 

7)-यह पेशी और तन्त्रिका तन्त्र को कार्यशील रखता है। 

8)-चेचक और काली खाँसी से बचाव करता है। 


Tuesday 15 September 2015

वसा में घुलनशील विटामिन-विटामिन 'ए '(Vtamin'A')





वसा में घुलनशील विटामिन


विटामिन 'ए '


वसा में घुलनशील विटामिनों में सर्वप्रथम विटामिन 'ए 'की खोज हुई। यह मुख्यतः वनस्पति के हरे रंग क्लोरोफिल से संबंधित है। पीले फल व सब्जियों में पाया जाने वाला कैरटिनोयाड्स वर्णक विटामिन 'ए 'के लिए प्री-विटामिन है। इस विटामिन को रेटिनॉल (retinol)भी कहते हैं। इसे वनस्पतियों में में पाये जाने वाले पदार्थ कैरोटीन (Carotene)से प्राप्त किया जाता हैं। इसे विटामिन Aका प्रीकर्सर कहते हैं। 
          विटामिन A1का सबसे मुख्य स्रोत मछली के यकृत का तेल है। समुद्री मछलियों के यकृत में मुख्यतः विटामिन A1व मीठे पानी की मछलियों के यकृत में विटामिन A2होता हैं 


विटामिन 'ए 'प्राप्ति के साधन :


1)-वनस्पति से - 


वनस्पति से यह उन साग-सब्जियों में पाया जाता है जो पीले व लाल रंग के हों ;जैसे -टमाटर,गाजर,पपीता,शकरकंद,आम,आड़ू,मटर व हरी पत्तेदार सब्जियाँ (धनिया,शलजम,पोदीना,चुकंदर )आदि में। 


2)- जन्तुओं से -


मुख्य रूप से मछली के यकृत के तेल में मिलता हैं। इसके अतिरिक्त यह अण्डा,दूध व मक्खन आदि में पर्याप्त मात्रा में मिलता है। 
      वनस्पति घी का पौष्टिक मूल्य बढ़ाने के लिए उसमें ऊपर से विटामिन 'ए 'मिला दिया जाता हैं। 




विटामिन 'ए 'के कार्य -



1)- विटामिन 'ए 'आँखों की सामान्य दृष्टि के लिए अत्यन्त आवश्यक हैं। यह नेत्रों में उपस्थित रोडोप्सिन (Rhodopsin or visual purple)नामक पदार्थ में प्रोटीन रहित भाग का निर्माण करता हैं। रोडोप्सिन की उपस्थिति सामान्य दृष्टि हेतु अत्यन्त आवश्यक है। विटामिन 'ए ' की अधिक समय तक कमी रहने से रात्रि अन्धापन (Night Blindness)हो जाता है। जिसमें व्यक्ति धीमे प्रकाश (dim night)में कुछ भी देखने में असमर्थ रहता है। 

2)-विटामिन 'ए 'एपिथीलियम ऊतकों की कार्यक्षमता व क्रियाशीलता बनाए रखने में भी सहायक होता हैं। यह श्लेष्मा स्त्राव में सहायक कारकों के निर्माण में सहायता करता हैं,जिससे कि ऊतकों की स्थिरता बनी रहती हैं। यह ऊतक जीभ,नेत्र,श्वसन नली,मुख गुहा,प्रजनन व मूत्र संबन्धी नलियों आदि की आन्तरिक भित्ति का निर्माण करते हैं। 

3)- विटामिन बाह्य त्वचा की कोशिकाओं को चिकना व कोमल बनाए रखती हैं। इसके अभाव में बाह्य त्वचा सूख जाती हैं व दरार पड़ जाती हैं। त्वचा में बाह्य संक्रमण से बचाव करने की क्षमता का ह्रास होता हैं। यह अवस्था ( Keratinnisation)की कहलाती हैं। 

4)- बालकों की सामान्य वृद्धि व विकास में यह वृद्धि वर्ध्दक कारक (Growth Promoting Factor)भाँति कार्य करता हैं। 
5)- विटामिन 'ए 'अस्थियों में दाँतों के विकास में योगदान देता हैं। इसकी कमी से अस्थियाँ लम्बाई में बढ़ना बन्द कर देती हैं। फलस्वरूप अस्थियों की वृद्धि रूक जाती है। विटामिन 'ए 'अपरिपक्व कोशिकाओं को आस्टियोब्लास्ट कोशिकाओं में परिवर्तित करने का कार्य करता है जो कि कोशिकाओं की संरचना बढ़ाता है। यह आस्टियोब्लास्ट के परिवर्तन में भी सहायक होता है जो हड्डी व कोशिकाओं के बढ़ने में सहायक है और वृद्धि काल में पुनः निर्मित की जाती हैं। 

6)- विटामिन 'ए 'की कमी से नेत्रों की बाहरी पर्त कार्निया मुलायम पड़ जाती हैं। इस रोग को कैराटोमलेशिया (Keratomalacia)कहते हैं। 





























Thursday 3 September 2015

मुंबई पाव भाजी (Mumbai Pav Bhaji)













छः व्यक्तियों के लिए :


सामग्री :




ताजे पाव - 12 
आलू (उबले और मैश किए हुए )- 5 मध्यम 
मटर (उबली और मैश की हुई )- 1/4 कप 
फूल गोभी (कसी हुई )- 1/4 कप 
शिमला मिर्च (बारीक़ कटी )- 1 बड़ी 
प्याज (बारीक़ कटा )- 2 मध्यम 
अदरक पेस्ट - 1 छोटी चम्मच 
लहसुन पेस्ट - 1 1/2  छोटी चम्मच 
हरी मिर्च पेस्ट - 1 छोटी चम्मच 
टमाटर (बारीक़ कटे )- 5 मध्यम 
टमाटर प्यूरी - 1/2 कप 
नीबू का रस - 2 टेबलस्पून 
पाव भाजी मसाला - 3 टेबलस्पून 
नमक स्वादानुसार 
मक्खन - 6 टेबलस्पून 
तेल - 3 टेबलस्पून 





विधि :





1)- एक पैन में तेल और तीन टेबलस्पून मक्खन गरम करें,उसमें प्याज डालकर चार से पाँच मिनट तक मध्यम आँच पर भूने ,अदरक,लहसुन और हरी मिर्च पेस्ट डालकर एक मिनट तक भूने। 
2)- टमाटर डालकर चार से पाँच मिनट तक पकाएँ ,उसमें पाव भाजी मसाला और नमक डालकर एक मिनट तक भूने। मटर ,गोभी ,शिमला मिर्च और आलू डालकर मसाले में अच्छी तरह मिलाएँ ,आधा कप पानी डालें और ढक्क्न लगाकर मध्यम आँच पर सात मिनट तक पकाएँ। 

























3)- टमाटर प्यूरी डालकर अच्छी तरह मिलाएँ,ढक्क्न लगाकर चार मिनट तक पकने दें। नीबू का रस और मक्खन डालकर मिलाएँ और एक मिनट तक और पकाएँ। आँच बन्द कर दें। भाजी तैयार हैं। 











4)- नॉन स्टिक तवा गरम करें। पाव को बीच से काटें और मक्खन लगाकर दोनों तरफ से गुलाबी होनें तक सेंकें। 
5)- गरमागरम भाजी गरमागरम पाव के साथ सर्व करें। 















Friday 14 August 2015

ड्राईफ्रूट्स के फायदे (Benefits Of Dry-fruits)











सदियों से मेवे का प्रयोग उत्तम औषधि के रूप में किया जाता हैं ,क्योंकि मेवा स्वाद की नहीं ,बल्कि सेहत की दृष्टि से भी उतना ही फायदेमंद हैं। मेवे में मौजूद तत्व शारीरिक विकारों को दूर कर ,शरीर को रोगों से लड़ने की शक्ति भी प्रदान करते हैं। 
        अक्सर लोग वज़न बढ़ने के डर से मेवे का सेवन करने से बचते हैं,क्योंकि मेवे में हाई कैलोरीज़ और फैट्स होते हैं ,जबकि सच्चाई यह है कि मेवे सेहत के लिए काफ़ी फायदेमंद होते है ,विशेषज्ञों का मानना है कि मेवे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियन्त्रित कर शरीर को बीमारियों से बचाते हैं। आइए जाने सेहत की दृष्टि से मेवे कितने लाभकारी हैं ,




                                          अखरोट



1)- अखरोट ओमेगा -3 एसेंशियल फैटी एसिड का एक उत्तम स्रोत हैं इसलिए यह कार्डियो वेस्कुलर हेल्थ ,अस्थमा ,आर्थराइटिस ,एक्ज़िमा तथा सोराइसिस में भी लाभदायक है। 

2)-अखरोट प्रोटीन ,फाइबर ,आयरन ,मैग्रेशियम ,फॉस्फोरस ,कॉपर व मैगनीज का बढ़िया स्रोत है। 

3)- अखरोट में निहित इलेनिक एसिड एक एंटीऑक्सीडेंट है ,जो इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाता है ,इसके एंटी कैंसर गुण कैंसर से लड़ने की क्षमता प्रदान करते हैं। 

4)-इसका नियमित सेवन अल्ज़ाइमर से बचाव करता है और ब्लड क्लॉटिंग को रोकता है। 

5)- अखरोट का सेवन महिलाओं में होने वाली गाल स्टोन की समस्या में भी फ़ायदेमंद होता है। 

6)- अखरोट में मौजूद मेलाटोटिन तत्व एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है ,जो अच्छी नींद में सहायक हैं ,जिन लोगों को अनिद्रा की समस्या होती है ,उन्हें सोने से पहले अखरोट खाना चाहिए। 





                                               काजू 




1)- काजू में ओलिक एसिड होता है ,जो हार्ट फ्रेंडली तत्व है। 

2)- इसमें 75% अनसैचुरेटेड फैटी एसिड होता है ,जो हृदय के लिए अच्छा होता है। 

3)- गाल ब्लेडर में स्टोन के खतरे को कम करने के लिए काजू का सेवन करना चाहिए। 

4)- काजू का सेवन हड्डियों को मज़बूती प्रदान करता है ,क्योंकि इनमें मैग्रेशियम व कॉपर मौजूद होता है। 

5)- काजू का सेवन फ्री रेडिकल्स को दूर करने तथा मेलानिन का निर्माण करने में लाभदायक है। 

6)- कॉपर व आयरन बोन्स व कनेक्टिव टिशू (हड्डियों व योजक टिशू )को विकसित करने में सहायक होता है। 




                                            बादाम



1)-बादाम में आयरन ,कॉपर ,फॉस्फोरस तथा विटामिन बी -1 होते है ,जो नए ब्लड सेल्स तथा हीमोग्लोबिन के निर्माण में सहायक होते है ,ये शारीरिक अंगों की सही संचालन क्रिया में भी सहायक होते हैं। 

2)- बादाम कब्ज़ व कोलोन कैंसर की रोकथाम में भी लाभकारी है। 

3)- बादाम में मौजूद कैल्शियम तथा मैग्रेशियम हड्डियों को मज़बूती प्रदान करता है। 

4)- लो कैलोरी डायट के साथ बादाम का सेवन करने से वज़न कम होता है।

5)- कार्डियो वेस्कुलर हेल्थ के लिए बादाम बहुत लाभदायक है। 

6)- हाई ब्लड शुगर को नियन्त्रित करने में बादाम सहायक होता है। 

7)-  बादाम में विटामिन 'ई 'होता है ,इसे पैक के रूप में लगाने से त्वचा नर्म -मुलायम बनती है और पिंपल ,रिंकल व ड्राईनेस की समस्या कम होती है। 

8)- बादाम का नियमित सेवन ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है। 

9)- इसमें निहित सेलेनियम तत्व एजिंग प्रोसेस की गति को धीमी करता है। 

10)- प्रेग्रेंसी के दौरान बादाम का सेवन करने से गर्भस्थ शिशु में होनेवाले 
जन्म विकार का खतरा कम हो जाता है। 

11)- बादाम को भिगोकर खाना चाहिए ,भिगोए हुए बादाम आसानी से पच जाते है। 




                                               पिस्ता  



1)- पिस्ते का सेवन कोरोनरी आर्टरी रोग व हार्ट अटैक से बचाव करता है तथा अच्छे व खराब रक्त का संतुलन बनाने में सहायक होता है। 

2)- पिस्ते में एंटीऑक्सीडेंट अधिक मात्रा में होते हैं ,जो तनाव को कम करते है तथा इसमें मौजूद विटामिन्स व मिनरल्स आँखों की सेहत के लिए लाभकारी हैं। 

3)- मसाज थेरेपी ,एरोमा थेरेपी तथा कॉस्मेटिक इंड़स्ट्री में प्रयोग की जाने वाली दवाइयों में इसका इस्तेमाल होता है। 

4)- पिस्ते में मौजूद फ़ाइबर ब्लड शुगर के स्तर को नियन्त्रित करता है। 

5)- पिस्ते में मौजूद कैल्शियम हड्डियों को मज़बूती प्रदान करता हैं तथा स्नायु की क्रिया को संतुलित रखता हैं। 

6)- पिस्ते में मौजूद आयरन ,हीमोग्लोबिन का निर्माण करने में सहायक होता है। 

7)- पिस्ते में प्रोटीन ,फैट्स व फाइबर्स अधिक मात्रा में होते है। 




                                         किशमिश 



1)- किशमिश आयरन का अच्छा स्रोत है ,अतः खून की कमी एनीमिया व कब्ज दूर करने में बहुत फायदेमंद हैं। 

2)- किसी भी बीमारी के बाद रिकवरी पीरियड में किशमिश का सेवन लाभप्रद हैं। 

3)- किशमिश में मौजूद ओलेनॉटिक एसिड दाँतों व मसूड़ों के रोगों से बचाव करता है और दाँतों पर जमे प्लाक से उत्पन्न होने वाले बैक्टीरिया को ख़त्म करता है। 

4)- किशमिश फाइबर्स का बढ़िया स्रोत होने के कारण कॉलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक होता है। 

5)- किशमिश में कैल्शियम होता हैं ,जो हड्डियों के लिए फ़ायदेमंद है। 
















Thursday 6 August 2015

इटालियन पास्ता बीन सलाद (Italian Pasta Beans Salad)











सामग्री :




पास्ता (कोई भी आकार का उबला हुआ )-1 कप 
राजमा (उबले हुए )- 1 कप 
स्वीट कॉर्न - 1/2 कप 
टमाटर (बारीक़ कटे )- 1/2 कप 
शिमला मिर्च (बारीक़ कटी )- 1/2 कप 
पत्ता गोभी (बारीक़ कटी )- 1/2 कप 
पास्ता या पिज़्ज़ा सॉस - 2 टेबलस्पून 
एगलेस मेयोनीज - 2 टेबलस्पून 
नमक स्वादानुसार 
काली मिर्च पाउडर - 1/4 छोटी चम्मच 
दूध - 2 टेबलस्पून 





विधि :



1)- एक बाउल लें उसमें पास्ता और राजमा डालकर मिलाएँ। अब उसमें स्वीट कॉर्न ,टमाटर ,शिमला मिर्च और पत्ता गोभी डालें और अच्छी तरह मिलाएँ। 
2)- अब उसमें मेयोनीज ,पिज़्ज़ा सॉस ,काली मिर्च ,नमक और दूध डालकर अच्छी तरह मिला लें।  रेफ्रिजरेटर में पन्द्रह मिनट के लिए रखें। 
3)- रेफ्रिजरेटर से बाहर निकाल कर अपनी पसन्द के चिप्स के साथ सर्व करें। 












Monday 27 July 2015

काली मिर्च चिकन विद अनियन रिंग्स (Kali Mirch Chicken With Onion Rings)











सामग्री :



चिकन - 1/2 किलो 
गाढ़ा दही - 2 टेबलस्पून 
अदरक -लहसुन पेस्ट - 1 छोटी चम्मच 
सोया सॉस - 1 टेबलस्पून 
काली मिर्च (कुटी हुई )- 1 छोटी चम्मच 
प्याज रिंग्स - 2 कप 
तेल - 3 टेबलस्पून 
नीबू का रस - 1 टेबलस्पून 
चाट -मसाला - 1 छोटी चम्मच 
नमक स्वादानुसार 




विधि :




1)- एक बर्तन में चिकन ,दही ,अदरक -लहसुन पेस्ट ,सोया सॉस ,काली मिर्च और नमक को अच्छी तरह मिलाएँ और आधा घंटे के लिए अलग रख दें। 
2)- एक नॉन स्टिक पैन लें। उसमें दो टेबलस्पून तेल गरम करें उसमें प्याज रिंग्स डालें और तीन से चार मिनट तक भूनें। उसमें नीबू का रस ,नमक और चाट मसाला डालें और अच्छी तरह मिलाएँ। आँच बन्द कर दें। 3)- नॉन स्टिक पैन में एक टेबलस्पून तेल डालकर गरम करें उसमें मेरीनटेड चिकन डालें तेज आँच पर दो मिनट तक भूने। पैन में ढक्क्न लगाएँ और धीमी आँच पर पाँच मिनट तक पकाएँ। ढक्क्न खोलें आँच तेज करें। चिकन को तीन से चार मिनट तक भूने। प्याज रिंग्स डालें। (थोड़े रिंग्स ऊपर से सजाने के लिए रख लें। )अच्छी तरह मिलाएँ आँच बन्द कर दें 
4)- प्लेट में चिकन डालें और प्याज रिंग्स से सजा कर गरमागरम चिकन सर्व करें। 












Monday 20 July 2015

चीज़ कॉर्न बॉल्स (Cheese Corn Balls )










सामग्री :



स्वीट कॉर्न - 1 कप 
पनीर (कसा हुआ )- 1 कप 
मोज़्ज़ारेल्ला चीज़ (कसा हुआ )- 1 कप 
मैदा - 1/4 कप 
कॉर्नफ्लोर - 2 टेबलस्पून 
हरी मिर्च (बारीक़ कटी )-2 
हरा धनिया (बारीक़ कटा )- 1/4 कप 
ब्रेड का चूरा - 1 कप 
नमक स्वादानुसार 
दूध - 1/4 कप 
तेल - तलने के लिए 


विधि :


1)- स्वीट कॉर्न के दानों को पाँच मिनट तक उबाल कर छान ले और ठंडा कर लें। मिक्सर जार में डालकर पीस कर पेस्ट बना लें और अलग रख लें। 
2)- एक बाउल में कॉर्न पेस्ट ,पनीर ,चीज़ ,मैदा ,कॉर्नफ्लोर ,हरी मिर्च ,हरा धनिया और नमक डालकर अच्छी तरह से मिला लें और मिश्रण तैयार कर लें। 
3)- सारे मिश्रण से छोटे -छोटे बॉल्स बना लें और फ्रिज में बीस मिनट तक रख दें। 







4)- बॉल्स फ्रिज से निकाले। दूध में डुबोए और ब्रेड के चूरे में अच्छी तरह लपेट लें। इसे फ्रिज में फिर से बीस मिनट तक रखें। 









5)- पैन में तेल गरम करें। बॉल्स को फ्रिज से निकाल कर दो मिनट तक ऐसे ही रखें। जब तेल गरम हो जाएं तो बॉल्स को गोल्ड़न ब्राउन होने तक तल लें। बॉल्स को ज्यादा तेज आँच पर न तलें। मध्यम आँच पर ही तलें। 
6)- गरमागरम चीज़ कॉर्न बॉल्स अपनी पसन्द की चटनी के साथ परोसे। 














Sunday 12 July 2015

फायदे नीबू के (Benefits OF Lemon )










नीबू एक ऐसा फल है जिसकी खूशबू मात्र से ही ताजगी का एहसास होता है। चाट हो या दाल कोई भी व्यंजन इस के प्रयोग से स्वादिष्ट हो जाता है। यह फल खट्टा होने के साथ -साथ बेहद गुणकारी भी है तो जाने नीबू के फायदे। 




1)- नीबू के पत्तों का रस निकाल कर अच्छी तरह सूँघे। सिरदर्द में आराम मिलता है। जिस व्यक्ति को हमेशा सिरदर्द बना रहता है ,उसे भी इससे शीघ्र आराम मिलता है। 

2)- दस ग्राम नीबू का रस ,दस बूँदे ग्लिसरीन तथा दस ग्राम गुलाबजल को मिलाकर रख लें। इस लोशन को प्रतिदिन सुबह स्नान के बाद तथा रात को सोने से पहले चेहरे पर हल्के -हल्के मलने से चेहरा कोमल बन जायेगा। 
        नीबू के रस में बराबर मात्रा में गुलाबजल मिलाकर चेहरे पर लगाएं। आधे घंटे बाद ताजे पानी से धो लें। चेहरे के मुंहासे बिल्कुल साफ़ हो जाएँगे यह प्रयोग करीब दस से पन्द्रह दिनों तक करें। 

3)- दस ग्राम नीबू के पत्तों के रस (अर्क )में दस ग्राम शहद मिला कर पीने से दस -पन्द्रह दिनों में पेट के कीड़े मर जाते है। नीबू के बीजों के चूर्ण की फंकी लेने से भी कीड़े मर जाते है। 

4)- नीबू के रस में थोड़ा सेंहुड़ का दूध मिला कर मुँह में लगाने से जीभ के सभी विकार मिट जाते है। 

5)- नीबू के रस में दोगुना नारियल का तेल मिला कर हलके हाथों से सिर की मालिश करने से बाल झड़ना बंद हो जाते हैं व वे मुलायम भी हो जाते है साथ ही रूसी से भी मुक्त हो जाते है ,यदि सिर में रूसी हो ,तो नीबू के रस में नारियल का तेल मिला कर रात को सिर में मलें और सुबह कुनकुने पानी और रीठे के पानी से सिर को धोएं ,दो -चार बार यह क्रिया करने से खुश्की खत्म हो जाती हैं। 

6)- नीबू का रस व शहद मिला कर मसूड़ों पर मलते रहने से रक्त व पीप आना बंद हो जाते है। 

7)- दाँत दर्द होने पर नीबू को चार टुकड़ों में काट लीजिए ,इस के बाद ऊपर से नमक डाल कर सभी टुकड़े गरम कीजिए ,फिर एक -एक टुकड़ा दाँत व दाढ़ में रख कर दबाते जाएं व चूसते जाएं ,दर्द में राहत महसूस होगी। मसूड़े फूलने पर नीबू को पानी में निचोड़ कर कुल्ले करने से अत्यधिक लाभ होगा। 

8)- नीबू के रस व सरसों के तेल को मिला कर मंजन करने से दाँतों की चमक निखर जाएगी। 

9)- एक चम्मच नीबू का रस व शहद मिला कर पीने से हिचकी बंद हो जाएगी। इस प्रयोग में स्वादानुसार कालानमक भी मिलाया जा सकता हैं। 

10)- नीबू में फिटकरी का चूर्ण मिला कर खुजली वाले स्थान पर रगड़ें। खुजली समाप्त हो जाएगी। 

11)- नीबू के रस को दर्द वाले स्थान पर मलने से जोड़ों का दर्द व सूजन समाप्त हो जाएगी। 

12)- नीबू के रस में शहद मिला कर चाटने से सांस फूलने में काफी राहत महसूस होगी। 







Wednesday 8 July 2015

विटामिन 'सी ' ( Vitamin 'C' or Ascorbic Acid)



             विटामिन 'सी '

  ( Vitamin 'C' or Ascorbic Acid)



स्कर्वी नामक रोग नाविकों को दीर्घकालीन समुद्री यात्रा के दौरान विशेष रूप से हो जाता था। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति अधिकतर मृत्यु का शिकार हो जाते थे। स्कर्वी नामक रोग के कारण व उपचार ढूँढने के फलस्वरूप ही विटामिन 'सी 'का आविष्कार हुआ। 1753 में केप्टन जेम्सलिंड (James Lind)इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि रसीले ताजे व खट्टे फल इस रोग की स्थिति में लाभप्रद रहते हैं। 1928 में जैट ज्योर्जी (Szeut Gyorgy)व 1932 में वाग व किंग (Waugh &King)आदि वैज्ञानिकों ने संतरा ,नीबू व अन्य इसी प्रकार के फलों से विटामिन 'सी 'के क्रिस्टल अलग किये। 
     स्कर्वी रोग को दूर करने के कारण इस विटामिन का नाम एस्कार्बिक एसिड (Ascorbic Acid)पड़ा। 



मानव शरीर में विटामिन 'सी 'के कार्य :

विटामिन 'सी 'मानव शरीर में महत्त्वपूर्ण कार्य करता है। 
1)- यह दाँत ,अस्थियों व रक्त वाहिनियों की दीवारों को स्वस्थ रखता है। 
2)- घाव को भरने में सहायता करता है। 
3)- यह लोहे के फैरिक को फैरस आयन में बदल देता है ,जिससे यह आँत में शीघ्रता से शोषित हो सके। 
4)- बच्चों में विटामिन 'सी 'की कमी से छाती में दर्द रहता है व श्वाँस लेने में परेशानी होती रहती है। 
5)- विभिन्न रोगों में निरोधक क्षमता बढ़ाता है। 
6)- एड्रीनल ग्रन्थि में हार्मोन के संश्लेषण में महत्त्वपूर्ण कार्य करता है। 
7)- यह विटामिन विभिन्न कोशिकाओं को जोड़ने वाला पदार्थ कालेजन (Collagen)के निर्माण में सहायक है,जो कि शरीर के समस्त अंगों व हड्डियों में पाया जाता है। इस विटामिन की हीनता से मनुष्य की हड्डियाँ खोखली (Hollow)हो जाती हैं। 


विटामिन 'सी 'प्राप्ति के स्त्रोत :

1)-वनस्पति से -


यह आँवला व अमरुद में मुख्य रूप से होता है। इसके अतिरिक्त ताजे ,रसीले व खट्टे फलों जैसे -नीबू ,नारंगी व संतरा में यह प्रचुर मात्रा में मिलता है। अंकुरित अनाजों व दालों में भी यह उपस्थित रहता है। 

2)-जन्तुओं से -


दूध व माँस में इसकी अल्प मात्रा रहती है। 


   

Wednesday 1 July 2015

पिस्ता मलाई कुल्फी(Pista Malai Kulfi)












सामग्री :


फुल क्रीम दूध - 1लीटर +1/2 कप 
पिस्ता - 1/4 कप 
काजू - 1/4 कप 
चीनी - 10 टेबलस्पून 
कॉर्नफ्लोर - 2 टेबलस्पून 
ईलायची पाउडर - 1/2 छोटी चम्मच 


विधि :


1)- काजू और पिस्ते को गरम पानी में दो घंटे के लिए भिगो दें। 
2)- काजू और पिस्ते से पानी निकाल लें। मिक्सर जार में काजू ,पिस्ता और 1/4 कप दूध डालकर बारीक़ पेस्ट बना लें। अलग रख लें। 
3)- एक भारी तले के बर्तन में दूध उबाल लें। चीनी डालें और पन्द्रह से बीस मिनट तक धीमी आँच पर पकाएँ। बीच -बीच में चलाते रहें। 








4)- 1/4 कप दूध में कॉर्नफ्लोर डालकर घोल तैयार कर लें। दूध में कॉर्नफ्लोर घोल ,ईलायची पाउडर और काजू -पिस्ता पेस्ट डालकर धीमी आँच पर लगातार चलाते हुए पन्द्रह मिनट तक या दूध के गाढ़े होने तक पकाएँ। आँच बन्द कर दें। 







5)- दूध को ठण्डा करें और कुल्फी मोल्ड्स में डालकर फ्रीजर में पूरी रात या आठ घण्टे तक जमने दें। 








6)- ठंडी -ठंडी स्वादिष्ट पिस्ता मलाई कुल्फी सर्व करें। 











Sunday 21 June 2015

तरबूज की चुस्की(Tarbooz Ki Chuski)









सामग्री :



तरबूज (टुकड़ों में कटा )- 1 छोटा 
ताजी पुदीना पत्तियाँ - 1/2 कप 
पिसी चीनी - 5 छोटी चम्मच 
नीबू का रस - 4 टेबलस्पून 
काला नमक - 1 छोटी चम्मच 
भुना जीरा पाउडर - 1 छोटी चम्मच 



विधि :


1)- ब्लेन्डर में तरबूज के टुकड़े ,पुदीना पत्तियाँ ,चीनी ,काला नमक ,नीबू का रस जीरा पाउडर और आधा कप पानी डालकर बारीक़ पीस लें। छान लें।
2)- छाना हुआ तरबूज का रस आइसक्रीम मोल्ड्स में भर दें और फ्रीजर में पूरी रात के लिए जमने दें। 











3)-ठंडी -ठंडी स्वादिष्ट तरबूज चुस्की अपने बच्चों को खिलाएँ। 








Friday 5 June 2015

भरवाँ शिमला मिर्च मखनी ग्रेवी के साथ (Stuffed Capsicum With Makhni Gravy)












सामग्री :


भरने का मसाला :


शिमला मिर्च (Capsicum)-5 से 6 
सोयाबड़ी चूरा (Granules)-1 कप 
पनीर (कसा हुआ )- 1/2 कप 
प्याज (बारीक़ कटा )- 1 बड़ी 
अदरक (बारीक़ कटा )- 1 टेबलस्पून 
लहसुन (बारीक़ कटा )- 1 टेबलस्पून 
हरी मिर्च (बारीक़ कटा )- 1 
लाल मिर्च पाउडर - 1 छोटी चम्मच 
गरम मसाला पाउडर - 1 छोटी चम्मच 
धनिया पाउडर - 1 छोटी चम्मच 
ताजी मलाई - 2 टेबलस्पून 
नमक स्वादानुसार 
तेल -2 टेबलस्पून 







ग्रेवी के लिए :



टमाटर (मोटा कटा )- 5 बड़े 
लहसुन (बारीक़ कटा )- 1 टेबलस्पून 
अदरक (बारीक़ कटा )- 1 टेबलस्पून 
काजू - 1/4 कप 
हरी ईलायची - 2 
गरम मसाला पाउडर - 1 छोटी चम्मच 
भुना जीरा पाउडर - 1 छोटी चम्मच 
कश्मीरी लाल मिर्च पाउडर - 1 छोटी चम्मच 
चीनी - 1 छोटी चम्मच 
कसूरी मेथी - 1 टेबलस्पून 
ताजी मलाई - 2 टेबलस्पून 
नमक स्वादानुसार 
मक्खन - 2 टेबलस्पून 
तेल - 2 टेबलस्पून 




विधि :


भरने का मसाला :


1)- शिमला मिर्च को धोकर उनके डण्ठल काट लें और अन्दर के बीज भी निकाल कर खोखला कर लें। अलग रख लें। 
2)- सोयाबड़ी चूरे को पन्द्रह मिनट के लिए पानी में भिगो दें। सोयाबड़ी चूरे से पानी अच्छी रह निचोड़ दें और अलग रख लें। 
3)- पैन में तेल गरम करें। उसमें प्याज ,हरी मिर्च ,अदरक और लहसुन डालकर मध्यम आँच पर दो मिनट तक भून लें। उसमें सोयाबड़ी चूरा डालें और एक मिनट तक भून लें। लाल मिर्च पाउडर ,गरम मसाला पाउडर ,धनिया पाउडर और नमक डालकर अच्छी तरह मिलाते हुए दो मिनट तक पकाएँ। 
4)- पनीर और मलाई डालें अच्छी तरह मिलाकर तेज आँच पर एक मिनट तक पकाएँ। आँच बन्द कर दें आँच से मसाला उतार लें ठण्डा कर लें। 








5)- शिमला मिर्च में भरने के लिए मसाला तैयार हैं। अब शिमला मिर्च में मसाला भर लें। अलग रख लें। 








ग्रेवी के लिए :



1)- पैन में एक टेबलस्पून तेल गरम करें उसमें हरी ईलायची ,लहसुन ,अदरक और काजू डालकर एक मिनट तक भूने। टमाटर और कसूरी मेथी डालकर दो से तीन मिनट पकाएँ। आँच बन्द कर दें। मसाला ठण्डा करें और मिक्सर में दो टेबलस्पून पानी के साथ बारीक़ पीस लें। 
2)- पैन में बाकी बचा तेल और मक्खन गरम करें उसमें पिसा टमाटर मसाला डालकर दो मिनट तक भूने ,कश्मीरी लाल मिर्च पाउडर ,गरम मसाला पाउडर ,भुना जीरा पाउडर ,चीनी और नमक डालकर दो मिनट तक पकाएँ। आधा कप पानी और मलाई डालकर ग्रेवी को एक मिनट तक उबाले। 








3)- अब उसमें भरी हुई शिमला मिर्च रखें और ढक्क्न लगाकर मध्यम आँच पर दस से बारह मिनट तक पकाएँ। आँच बन्द कर दें। 








4)- आपकी भरवाँ शिमला मिर्च मखनी ग्रेवी के साथ तैयार है। आप इसे गरमागरम रोटी ,नान या पराँठे के साथ सर्व करें। 








Monday 1 June 2015

स्टफ्ड चीज़ और पालक आलू कटलेट (Stuffed cheese or palak aloo katlet)








सामग्री :



पालक (बारीक़ कटा )- 2 कप 
आलू (उबले ,मसले हुए )- 3 बड़े 
प्रोसेस्ड चीज़ क्यूब्स (कसा हुआ )- 4 
हरी मिर्च (बारीक़ कटी )- 3 
ब्रेड क्रम्ब्स - 1 कप 
गरम मसाला - 1 छोटी चम्मच 
अमचूर पाउडर - 1 छोटी चम्मच 
नमक स्वादानुसार 
तेल तलने के लिए 



विधि :




1)- एक बाउल में आलू ,पालक ,हरी मिर्च ,ब्रेड क्रम्ब्स ,गरम मसाला ,अमचूर पाउडर और नमक को अच्छी तरह मिला लें। 







2)- आलू के मिश्रण से 12 से 14 बॉल तैयार कर लें और आलू के बॉल को हथेली पर रख कर चपटा कर लें। एक छोटी चम्मच चीज़ लें और चपटे किए हुए भाग में भरकर आलू के बॉल को चारों तरफ से बन्द करते हुए मनचाहा आकार दें। इसी तरह सारे कटलेट तैयार कर लें। 








3)- कड़ाही में तेल गरम करें और उसमें कटलेट डालकर ब्राउन होने तक तल लें 
4)- गरमागरम कटलेट अपने पसन्द की चटनी के साथ परोसे। 





Sunday 31 May 2015

विटामिन (बी 12 ) (Vitamin B12 or Cyanocobalamine)



विटामिन (बी 12 )

(Vitamin B12 or Cyanocobalamine)



विटामिन बी 12 की खोज परनीशियस एनीमिया रोग का निदान ढूँढ़ते समय हुई। प्रयोगों द्वारा देखा गया कि रोगी व्यक्ति को यकृत खिलाने से स्थिति में सुधार होता है। बाद में ज्ञात हुआ कि यकृत में उपस्थित बी 12 इस रोग के उपचार में सहायक है। इसे कोबामाइड (Cobamide),एंटीपरनीशियस एनीमिया फेक्टर (Antipernicious Anaemia Fector),एक्स्ट्रीन्सीक फेक्टर ऑफ केस्टल (Extrinsic Fector of Castle)के भी नामों से संबोधित करते है। मिनोट तथा मर्फी (Minot & Murphy)को 1934 में इस विटामिन की खोज के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। 1948 में स्मिथ तथा साथियों के द्वारा इसे क्रिस्टल रूप में प्राप्त किया गया। विटामिन बी 12 प्राणियों की प्रायः सभी कोशिकाओं में मिलता है। मनुष्य को इसकी पूर्ति के लिए भोजन पर निर्भर रहना पड़ता है किन्तु कुछ प्राणी आँतों में इसका निर्माण कर सकते हैं। ये पौधों में नहीं मिलता है। 


कार्य :

1)- यह प्रोटीन के चयापचय में सहायक होता है। 
2)- अस्थि मज्जा में रक्त कोशिकाओं के निर्माण में सहायक है। 
3)- नाड़ी ऊतकों की चयापचयी क्रिया में सहायक है। 


स्रोत :


प्रमुख रूप से जन्तु ऊतकों द्वारा ही प्राप्त होता है। इसके मुख्य स्रोत यकृत ,अण्डा ,माँस ,मछली ,दूध आदि है।