नायसिन या निकोटिनिक अम्ल
(Naicin or Nicotinic Acid)
इसे निकोटिनिक एसिड,निकोटिनामाइड,नियासिनामाइड आदि नामों से भी संबोधित किया जाता है। इस विटामिन की खोज पैलाग्रा रोग के कारण खोजते समय हुई। सर्वप्रथम अमेरिका के वैज्ञानिक गोल्ड बर्गर (Gold Berger)ने प्रयोगों द्वारा सिद्ध किया कि कुत्तों में काली जीभ के लक्षण मनुष्य में उत्पन्न पैलाग्रा के समान ही है। पैलाग्रा में व्यक्ति की त्वचा का रंग भद्दा हो जाता है,मस्तिष्क में विकार आने के फलस्वरूप उसकी मृत्यु भी हो सकती है। उसने ज्ञात किया कि भोजन में अमीनो एसिड की न्यूनता ही इस रोग का कारण है। भोजन में खमीर की मात्रा देकर रोग में सुधार देखा गया। खमीर में उपस्थित नायसिन तत्व को पैलाग्रा दूर करने वाला तत्व (Pellagra Preventing Factor or P.P. Factor)नाम दिया गया।
नायसिन के कार्य :
नायसिन त्वचा,पाचन संस्थान तथा नाड़ी संस्थान की सामान्य क्रियाशीलता के लिए अत्यन्त आवश्यक है। यह दो को-एन्जाइम (NAD,NADP)का निर्माण करती है। यह विटामिन शरीर में ग्लूकोज के अवशोषण व वसा के विखण्डन के फलस्वरूप बने फैटी अम्ल व ग्लिसरॉल के पुनः संगठन में भाग लेता है। शरीर में इसकी उपस्थिति पैलाग्रा से बचाव करती है।
नायसिन प्राप्ति के स्रोत :
वनस्पति मे:
अनाज,दाल व सूखे मेवों में यह पाया जाता है। मूँगफली में यह बहुतायत में मिलता है।
जंतुओं में :
सूखा खमीर इसकी प्राप्ति का अनुपम स्रोत है। माँस,व मछली में भी पाया जाता है
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