विटामिन 'सी '
( Vitamin 'C' or Ascorbic Acid)
स्कर्वी नामक रोग नाविकों को दीर्घकालीन समुद्री यात्रा के दौरान विशेष रूप से हो जाता था। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति अधिकतर मृत्यु का शिकार हो जाते थे। स्कर्वी नामक रोग के कारण व उपचार ढूँढने के फलस्वरूप ही विटामिन 'सी 'का आविष्कार हुआ। 1753 में केप्टन जेम्सलिंड (James Lind)इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि रसीले ताजे व खट्टे फल इस रोग की स्थिति में लाभप्रद रहते हैं। 1928 में जैट ज्योर्जी (Szeut Gyorgy)व 1932 में वाग व किंग (Waugh &King)आदि वैज्ञानिकों ने संतरा ,नीबू व अन्य इसी प्रकार के फलों से विटामिन 'सी 'के क्रिस्टल अलग किये।
स्कर्वी रोग को दूर करने के कारण इस विटामिन का नाम एस्कार्बिक एसिड (Ascorbic Acid)पड़ा।
स्कर्वी रोग को दूर करने के कारण इस विटामिन का नाम एस्कार्बिक एसिड (Ascorbic Acid)पड़ा।
मानव शरीर में विटामिन 'सी 'के कार्य :
विटामिन 'सी 'मानव शरीर में महत्त्वपूर्ण कार्य करता है।
1)- यह दाँत ,अस्थियों व रक्त वाहिनियों की दीवारों को स्वस्थ रखता है।
2)- घाव को भरने में सहायता करता है।
3)- यह लोहे के फैरिक को फैरस आयन में बदल देता है ,जिससे यह आँत में शीघ्रता से शोषित हो सके।
4)- बच्चों में विटामिन 'सी 'की कमी से छाती में दर्द रहता है व श्वाँस लेने में परेशानी होती रहती है।
5)- विभिन्न रोगों में निरोधक क्षमता बढ़ाता है।
6)- एड्रीनल ग्रन्थि में हार्मोन के संश्लेषण में महत्त्वपूर्ण कार्य करता है।
7)- यह विटामिन विभिन्न कोशिकाओं को जोड़ने वाला पदार्थ कालेजन (Collagen)के निर्माण में सहायक है,जो कि शरीर के समस्त अंगों व हड्डियों में पाया जाता है। इस विटामिन की हीनता से मनुष्य की हड्डियाँ खोखली (Hollow)हो जाती हैं।
विटामिन 'सी 'प्राप्ति के स्त्रोत :
1)-वनस्पति से -
यह आँवला व अमरुद में मुख्य रूप से होता है। इसके अतिरिक्त ताजे ,रसीले व खट्टे फलों जैसे -नीबू ,नारंगी व संतरा में यह प्रचुर मात्रा में मिलता है। अंकुरित अनाजों व दालों में भी यह उपस्थित रहता है।
2)-जन्तुओं से -
दूध व माँस में इसकी अल्प मात्रा रहती है।
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