(विटामिन 'बी ' या राइबोफ्लेविन )
(Riboflavin)
विटामिन 'बी 'की खोज के समय माना गया कि बेरी-बेरी रोग को दूर करने वाला एक ही विटामिन होगा,परन्तु बाद में ज्ञात हुआ कि बेरी-बेरी को दूर करने वाले एक नहीं बल्कि दो विटामिन होते है। एक ताप के प्रति अस्थिर
(विटामिन 'बी 1')जो बेरी-बेरी को वास्तव में दूर करता है तथा दूसरा ताप के प्रति स्थिर विटामिन 'बी 2'जो चूहों की वृद्धि में सहायक होता है। अन्य प्रयोगो से ज्ञात हुआ कि ताप के प्रति स्थिर विटामिन कई विटामिनों का मिश्रण है। 1932 में वारबर्ग और क्रिश्चियन ने यीस्ट में से एक से नारंगी पीले रंग के चमकने वाले पदार्थ को अलग किया गया तथा इसे रिबोफ्लेबिन नाम दिया गया।
राइबोफ्लेबिन के कार्य :
जिस प्रकार थायमिन-कार्बोहाइड्रेट के चयापचय में भाग लेता है उसी प्रकार राइबोफ्लेबिन प्रोटीन,कार्बोहाइड्रेट व वसा के चयापचय में सहायक होता है। राइबोफ्लेबिन नायसिन निर्माण में भी सहायक कार्य करता है। आँख की रेटिना पर्त में स्वतन्त्र रूप से राइबोफ्लेबिन पाया जाता है जो प्रकाश से क्रिया करके आँख की नाड़ी को उत्तेजना प्रदान करती है। राइबोफ्लेबिन की कमी से शरीर की वृद्धि रूक जाना,अशांत स्वभाव व आयु में कमी आदि रूप परिलक्षित होते है।
राइबोफ्लेबिन प्राप्ति के स्रोत :
राइबोफ्लेबिन विभिन्न वानस्पतिक व जान्तव भोज्यों में उपस्थित रहता है,परन्तु यीस्ट,माँस,मछली,दूध व अनाजों में इसकी अधिक मात्रा पायी जाती है। यह जंतुओं के यकृत में सर्वाधिक मात्रा में पाया जाता है। अनाज में इस सत्व की मात्रा कम ही होती है।
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