फोलिक एसिड
(Folic Acid)
इसे टेरिल ग्लुटामिक एसिड (Pteroylglutamic Acid)भी कहते है। डे (Day)ने इस पोषक फेक्टर के अस्तित्व का सुझाव दिया। माइकेल,स्नेल तथा विलियम्स (Mitchell,Snell & Williams)ने इसे फोलिक नाम दिया क्योंकि इस विटामिन को पालक की पत्तियों (L.Folium)से प्राप्त किया गया था।
कार्य :
कोशिकाओं के केन्द्रक में पाये जाने वाले न्यूक्लियोप्रोटीन के निर्माण में महत्त्वपूर्ण कार्य करता हैं। लाल और श्वेत रक्त कणिकाओं के निर्माण में भी इसका योगदान रहता है।
प्राप्ति के स्रोत :
खमीर ,गेँहू व चावल की ऊपरी पर्त (Germ)दाल ,हरी पत्ते वाली सब्जियों में पाया जाता है।
कोलीन
(Choline)
यह एक महत्त्वपूर्ण मेटाबोलाइट (Matabolite)है। यह शरीर द्वारा संश्लेषित किया जाता है। यह फास्को लिपिड्स का एक प्रमुख अवयव है। यह तन्त्रिका-तन्त्र (Nervous system)में होता है।
कार्य :
इसका प्रमुख कार्य यकृत में अधिक वसा के संग्रहण को रोकना हैं। नाड़ी ऊतकों की संवेदना क्षमता बनाए रखने के अतिरिक्त भी अनेक शरीर नियामक कार्य करता है।
प्राप्ति के स्रोत :
यकृत ,गुर्दे ,साबुत अनाज ,दालें ,माँस ,दूध व अण्डे के पीले भाग में प्रमुख रूप से पाया जाता है।
इनासिटॉल
(Inositol)
जान्तव व वानस्पतिक ऊतकों में यह विटामिन पाया जाता है। मनुष्य में इसकी कमी से अभी तक किसी रोग के होने की जानकारी नहीं मिली हैं। इसकी कमी से Mice में गंजापन आ जाता है।
कार्य :
इसकी आहार में पर्याप्त मात्रा लेते रहने पर यकृत में अधिक वसा एकत्रित नहीं हो पाती है।
प्राप्ति के स्रोत :
विभिन्न फल ,सब्जियाँ ,साबुत अनाज ,नट्स ,खमीर ,यकृत ,दूध व दालों में इसकी उपस्थिति होती है।
पैराअमीनो बैंजोइक एसिड
(Para amino Benzoic Asid)
यह भी जान्तव व वानस्पतिक पदार्थ दोनों में ही पाया जाता है। मनुष्य में इसकी कमी से होने वाले रोगों तथा इसके कार्यों का अभी तक ज्ञान नहीं किया गया। इसकी प्राप्ति खमीर ,दूध ,यकृत ,चावल व गेँहू से होती है।
No comments:
Post a Comment